
गुरुवार को न्यायमूर्ति सुजय पॉल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता कटनी निवासी भामा शाह की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता कटनी के ट्रेजरी विभाग में क्लर्क बतौर पदस्थ है। 2 सितम्बर 2016 को मनमाना आदेश जारी कर आलीराजपुर ट्रांसफर कर दिया गया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इसके पीछे खंडवा में जनपद पंचायत सीईओ बतौर पदस्थ उसके कजिन का हाथ है, जिसके साथ जमीन का विवाद लंबे समय से जारी है। उसी ने खंडवा निवासी शिक्षा मंत्री विजय शाह से अपनी नजदीकी का लाभ उठाते हुए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके तबादला करवाया है।
इसीलिए याचिका में शिक्षा मंत्री विजय शाह को भी नामजद पक्षकार बनाकर हाईकोर्ट की शरण ली गई। जिस दिन तबादला आदेश जारी हुआ उस दिन मंत्री विजय शाह कटनी में ही थे। ऐसा प्रतीत होता है कि सोची-समझी साजिश के तहत कटनी में ही नोटशीट तैयार करवाई गई। तबादले के पीछे राजनीतिक दबाव की आशंका को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि ट्रांसफर आदेश हाथ में आने के पहले ही रिलीव करने की प्रक्रिया को गति दे दी गई।
हाईकोर्ट में केविएट भी संदेह का आधार
इस मामले में खास बात यह है कि मंत्री के जुड़ाव के मद्देनजर राज्य शासन की ओर से तबादला आदेश को चुनौती दिए जाने से पूर्व ही केविएट दायर कर दी गई। यही नहीं इससे पहले कि नोटिस जारी होता सरकार की ओर से जवाब भी प्रस्तुत कर दिया गया। इससे साफ है कि पूरा मामला दुर्भावना से संबंधित है।
पत्नी को भी सस्पेंड करवा दिया
याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसकी पत्नी सरकारी स्कूल में शिक्षक है। वह 10 मिनट विलंब से स्कूल पहुंची थी। इसी आधार पर उसे सस्पेंड करवा दिया गया। जबकि उसी दिन अन्य शिक्षक आधा घंटा देरी से स्कूल पहुंचे थे। जाहिर सी बात है कि शिक्षा मंत्री का ही दबाव इसके पीछे कार्य कर रहा था।