गांव-गांव में अध्यापकों को लड़ाने वाला आदेश जारी | कर्मचारी समाचार

इंदौर। मप्र शासन के कुछ बीरबल ऐसी ऐसी युक्तियां सोचकर लाते हैं कि अकबर भी वाह वाह कर उठे। हाल में ही एक ऐसी ही युक्ति पर अमल शुरू हुआ है। शासन की ओर से इसका एक चैहरा पेश किया गया है परंतु इसके पीछे की चाल बड़ी गहरी है। यह लगभग सुनिश्चित हो गया है कि यदि इस आदेश पर अमल हो गया तो गांव-गांव में शिक्षकों, अध्यापकों एवं संविदा शिक्षकों के बीच तनातनी चलती दिखाई देगी। बता दें कि इससे पहले शिवराज सरकार अध्यापक संगठनों की जड़ों में काफी मठा डाल चुकी है। 

शुक्रवार को मुख्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि बेहतर रिजल्ट देने वाले स्कूल मेंटर का कार्य करेंगे। इनके प्राचार्य, स्टाफ और संसाधन का लाभ खराब परिणाम देने वाले स्कूलों को दिया जाएगा। मेंटर स्कूल के प्राचार्य की जिम्मेदारी होगी कि वे कमजोर स्कूल का लगातार भ्रमण और समीक्षा करें। (आप पढ़ रहे हैं भोपाल समाचार डॉट कॉम) इसके बाद कार्ययोजना बनाएंगे। जरूरत पड़ने पर मेंटर स्कूल के बढ़िया शिक्षक, खराब परिणाम वाले घटिया शिक्षकों की कक्षाओं में जाकर बच्चों को पढ़ाएंगे। इस आदेश के बाद शिक्षा विभाग में 2 स्थितियां बनेंगी। 

पहला: बढ़िया शिक्षकों की मदद से घटिया शिक्षक भी काम करना सीख जाएंगे। प्रदेश के सभी स्कूलों के परिणाम अच्छे आने लगेंगे और मप्र का शिक्षा स्तर ऊंचा उठ जाएगा। 
दूसरा: बढ़िया टीचर की मदद मिलने के बाद घटिया शिक्षक और ज्यादा मक्कार हो जाएंगे। परिणाम खराब आए तो मेंटर पर थोप दिए जाएंगे। मेंटर अपने प्रभार में आने वाले स्कूलों की व्यवस्थाओं में दखल देने लगेंगे और पूरा शिक्षा विभाग आपस में ही उलझ जाएगा। फिर कभी हड़ताल नहीं कर पाएगा। 

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