
वकील विष्णु शंकर जैन के मार्फत दायर पीआईएल में पशु क्रूरता रोकथाम कानून 1960 की धारा 28 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। इस धारा में धार्मिक मान्यताओं के चलते बलि या कुर्बानी की छूट दी गई है। जैन ने कहा है कि इस कानून में कोई छूट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 21 व 25 के खिलाफ है। याचिकाकर्ताओं ने गृह, कानून व न्याय, वन व पर्यावरण मंत्रालयों के साथ भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को भी पार्टी बनाया है।
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कुर्बानी विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सदियों पुरानी परंपरा को कैसे खत्म किया जा सकता है। इंदौर की भाजपा विधायक ऊषा ठाकुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ये बेहद संवेदनशील मामला है। इस कोर्ट का काम धार्मिक सदभाव को संतुलित करना है। हम लोगों के अधिकारो को खत्म नहीं कर सकते। याचिका में कहा गया था कि बकरे की प्रतीकात्मक कुर्बानी देना चाहिए। किसी भी जानवर की हत्या का कोई हक नहीं है।