नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर छह साल के बजाय क्यों न आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाए। हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कानून एवं न्याय मंत्रालय व संसदीय मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनाई 14 दिसंबर को होगी।
एडवोकेट अश्विन कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर कर जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा-8 व 9 को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इन धाराओं के तहत आपराधिक नेताओं को सिर्फ छह वर्ष के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने का प्रावधान है।
यह भी कहा गया है कि प्रशासनिक व न्यायपालिका के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के किसी अपराध में दोषी पाए जाने पर अपने आप ही उन्हें पद से निलंबित कर दिया जाता है, लेकिन नेताओं के लिए अलग नियम-कानून हैं। याचिका में चुनाव प्रत्याशियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ उनकी अधिकतम आयु सीमा भी तय करने का निवेदन किया गया है।