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प्राप्त जानकारी के अनुसार दमुईया निवासी सरस्वती बाई पति राजेश आदिवासी उम्र 24 वर्ष को आज सुबह प्रसव पीड़ा के चलते बस से मोहन्द्रा लाया गया। जहां त्वरित चिकित्सीय सहायता के अभाव में बस स्टैंड चौराहे में ही डिलेवरी करानी पड़ी।
ये हाल हैं अस्पताल के
पिछले लगभग डेढ़ सालों से चिकित्सक वहीन चल रहे प्राथ0 स्वा0 केंद्र मोहन्द्रा में कहने को तो चार नर्सें पदस्थ है जिसमें प्रेमबाई चौरसिया मेटरनिटी लीव पर है। एक नर्स निशा शुक्ला अपने तथाकथित राजनैतिक प्रभाव के चलते माह में कभी कभार ही ड्यूटी करने आती है। ड्यूटी सही तरीके से न करने के चलते अस्पताल के सुपरबाइजर से इनकी कई बार ठन चुकी है। पर इनका रवैष नहीं बदला।
क्लर्क प्रमाणपत्रों के लिये घुमाती है
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोहन्द्रा की क्लर्क अनामिका घरडे अस्पताल आने बाली महिलाओं को जन्म प्रमाण पत्र, प्रसूता हितग्राही राशि की चेक जारी करने में महींनों का समय लगा देती है। विघा पति राकेश और भारती पति विपिन की डिलेवरी हुये 06 माह होने को है पर उनकी न तो चेक जारी हुई न जन्म प्रमाण पत्र।
एक माह में तीन नवजात बच्चे मर गये
गुलाब बाई पति अरविंद चौधरी निवासी कोठी, शशि पति मुकेश दहायत निवासी टिकुरी, रिंकी पति चंदन चौरसिया निवासी मोहन्द्रा ये वो अभिभावक है जिनके नवजात बच्चे अंतिम जुलाई और अगस्त माह में अस्पताल में आंख खेलने के पहले ही दुनिया से रुखसत हो गये। पर प्रशासन ने सुध नहीं ली।यहां तक कि लगभग एक लाख की आबादी के बीच डॉक्टर तो छोडि़ये कंपाउडर तक नहीं।
इनका कहना है
मोहन्द्रा, हरदुआ के प्राथमिक स्वा0 केंद्र में कंपाउडर और डॉक्टर के रिक्त पदों को भरने के लिये वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े पदों पर सत्तासीन जनप्रतिनिधियों को कई बार पत्र लिखा गया पर नतीजा नहीं निकल रहा
डॉ0 एमएल चौधरी
बीएमओ पवई