
आरोप है कि जब मरीज अस्पताल में एंबुलेंस की मांग करते हैं तो अस्पताल प्रशासन कहता है कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है। अब एंबुलेंस का कहां रहता है? उससे क्या काम किया जाता है? ये मीडिया के कैमरों में कैद हो गया। कई मरीजों का ये भी आरोप है कि अस्पताल के लोग एंबुलेंस देने में आना कानी करते हैं।
वहीं इस घटना के सामने आने के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया है। अस्पताल प्रशासन दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहा है, लेकिन सवाल यह है कि दोषी किसे माना जाए। वो कर्मचारी जो चारा ढो रहा था या वो अधिकारी जिसने एंबुलेंस को चारा ढोने के लिए खुला छोड़ दिया। निगरानी नहीं की। लॉगबुक की जांच नहीं की। कहीं यह चारा सीएमएचओ या सिविल सर्जन के पालतू जानवरों के लिए तो नहीं था।