
संघ के महामंत्री अरुण कुमार जैन ने कहा कि हमने कोई कसम नहीं खाई है कि सब कुछ अत्याचार सहेंगे पर हड़ताल नहीं करेंगे और इतनी बेहद गंभीर घटना पर भी हम चुप बैठे रहे तो इतिहास कभी हमें माफ़ नहीं करेगा। जैन ने बताया कि दिवंगत पटवारी श्री नरवरिया की साल डेढ़ साल पहले नामांतरण के लिए 500-500 रूपये लेने की मौखिक शिकायत हुई थी। SDM ने निलम्बित कर दिया। कुछ समय बाद नए SDM ने 2 इंक्रीमेंट रोककर बहाल कर दिया। इसी बीच फ़र्ज़ी शिकायतों को लेकर पटवारी की FIR की जाकर SDOP ने जाँच की। कोई आवेदक नहीं होने के बाद भी फ़र्ज़ी रिपोर्ट में पटवारी को अपराधी करार दे दिया गया। रिपोर्ट SP को भेजी। SP ने कलेक्टर को। और फिर कलेक्टर द्वारा पुनः निलम्बित कर दिया गया। जुर्म एक बार भी साबित नहीं हुआ और 2 बार ससपेंड कर उनको प्रताड़ित किया गया। सुसाइड नोट में कई अधिकारियों के नाम हैं।
बेबुनियाद और फर्जी शिकायत से मानसिक, आर्थिक और शाररिक तौर पर परेशान पटवारी की किसी से भी कोई मदद नही मिली और इसी के चलते परेशान पटवारी नरवरिया ने आत्महत्या का सहारा अपना कर प्रदेश के तमाम पटवारीयों और उनके परिवारों के लिए एक सवाल छोड दिया कि आखिरकार बेबुनियाद शिकायतों के बल पर की गई कार्रवाई पर दिये गये दण्ड के खिलाफ पटवारीयों का यह समाज क्या केवल राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए एवं निजी स्वार्थ के लिए है? आज दिवंगत पटवारी श्री नरवरिया ने नर्वस होकर अपने प्राण त्यागे हैं और अगली बारी मेरी या आपकी है। क्योंकि आज के दौर व परिवेश मे झूठी बेबुनियाद शिकायतें होना आम बात है।
इस घटना के दोषियों को सजा दिलाने हड़ताल आवश्यक है और मध्य प्रदेश जागरूक पटवारी संघ हडताल में न केवल प्रदेश के समस्त पटवारियों के साथ है, बल्कि प्रदेश के पटवारी साथियों से इसके लिये आव्हान करता है कि जागो भाइयो, कब तक अत्याचार सहते रहोगे कब तक? और यह समस्या किसी एक पटवारी एक तहसील या एक जिले की नहीं है, प्रदेश भर में ऐसी घटनाओं होती रहती हैं।