
बिजली कंपनी ने पहली राउंड में मप्र के इंदौर, भोपाल और जबलपुर में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत कुल 5 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया। जबलपुर में करीब 2 मेगावाट बिजली पैदा होनी थी लेकिन सरकारी इमारतों में सोलर प्लांट पूरी तरह से नहीं लगने के कारण तय वक्त में उत्पादन नहीं प्रारंभ हो सका। अभी जबलपुर की करीब 9 इमारतों में ही सोलर प्लांट लगे हैं। इनसे करीब 1100 किलोवाट बिजली पैदा हो रही है।
इन इमारतों में लगे प्लांट
शक्तिभवन परिसर, कलेक्ट्रेट, महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज, कलानिकेतन, एमपीईबी हास्टल, मेडिकल हॉस्पिटल के अलावा कृषि यूनिवर्सिटी और जलसंसाधन विभाग में प्लांट लगे हैं।
आप भी पैदा कर सकते हैं छत से बिजली
सोलर प्लांट हम अपने घर की छतों पर भी लगा सकते हैं। सरकार की ओर से इसमें करीब 30 फीसद की सबसिडी भी मिल रही है। पैदा हुई बिजली से घर के उपकरण चलाए और ज्यादा उत्पादन होने पर उसे बेच सकते हैं। इसके लिए नेट मीटरिंग योजना के तहत प्लांट लगाना होगा। बिजली विभाग से इस संबंध में जानकारी हासिल की जा सकती है। बिजली विभाग बेची गई बिजली के हिसाब से बिल में छूट देगा।
पहले क्यों नहीं सफल हुआ सोलर प्लान
सोलर प्लांट लगाने की लागत अधिक होने के कारण आम उपभोक्ता इसे लगाने से कतराता है। एक किलोवाट क्षमता वाले प्लांट लगाने के लिए करीब सवा लाख का खर्च आता है लेकिन अब बिजली कंपनी अपने सोलर प्लांट सरकारी आॅफिसों की छतों पर लगा रही है। इससे बिजली का लगातार उत्पादन होगा। अत: यह आसानी से सफल हो जाएगा।