
ग्वालियर की गलियों में एक बार फिर तांगों की टापें सुनाईं दीं। आज लोगों के पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बस यही जरिया था। वर्षों से बदहाली की जिंदगी जी रहे तांगा चालकों की तो जैसे आज लॉटरी निकल आई। एक मिनट का समय नहीं था। तांगा जहां खड़ा था वहीं फुल हो गया।
ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ता बंद के दौरान सड़कों पर घूमते रहे। जब कोई ऑटो-टेंपो सड़कों पर नजर आया तो कार्यकर्ताओं ने उसकी हवा निकाल दी। कार्यकर्ता बैनर-झंडे लिए पैदल और बाइक पर शहर भर में नारे लगाते घूमते रहे। ट्रेनों और बसों से आए यात्री सबसे ज्यादा परेशान नजर आए, ऑटो-टेंपो नही चलने से उन्हें पैदल ही मंजिल तक जाना पड़ा। ऑटो-टेंपो बंद रहने की वजह से शहर में बचे रह गए इक्का-दुक्का तांगे ओवरलोड सवारियां ढोते रहे।