लखनऊ। गुरूवार रात 10:30 बजे से शुरू हुआ सुर्खियों का दौर लगातार चलता रहा। शिवपाल सिंह यादव के मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उनके बेटे और पत्नी ने भी इस्तीफा दे दिया। देखते ही देखते शिवपाल समर्थकों का हुजूम जुट गया। सारी रात रणनीतियां बनती रहीं। मुलायम सिंह से मिलने अखिलेश यादव पहुंचे। शिवपाल सिंह का इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया लेकिन तनाव अब भी जारी है। शुक्रवार सुबह से ही शिवपाल सिंह यादव के बंगले पर भारी भीड़ लगी हुई है।
शिवपाल सिंह यादव ने लखनऊ में शुक्रवार सुबह कहा कि समाजवादी पार्टी को मजबूत करना है। उनके लिए नेताजी का संदेश ही आदेश है। आवास के बाहर समर्थन में नारे लगा रहे कार्यकर्ताओं से शिवपाल ने कहा कि नेताजी आज पार्टी कार्यालय पर आएंगे। आप लोग वहीं पर जाएं और उनके समक्ष अपनी बात रखें। इस दौरान वहां राम गोपाल यादव के खिलाफ नारेबाजी हुयी।
सरकारी आवास छोड़ेंगे शिवपाल
टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार, शिवपाल ने सरकारी वाहन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और जल्द ही सरकारी आवास भी छोड़ देंगे। शिवपाल के गुरुवार को इस्तीफा देने के बाद शुक्रवार सुबह लखनऊ में उनके आवास के बाहर समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गयी। उनके समर्थन में नारेबाजी भी हुयी।
इससे पहले कल रात जैसे ही उनके इस्तीफे की खबर आयी सैकड़ों समर्थक उनके आवास पर जमा हो गए थे। देर रात कालीदास मार्ग स्थित उनके बंगले पर कार्यकर्ताओं का भारी हुजूम हो गया। शिवपाल तुम संघर्ष करो.... हम तुम्हारे साथ हैं के नारे....जोर-जोर से लगाये जाने लगे।
विधायक और मंत्री भी मिलने आए
शिवपाल भी कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए बंगले से बाहर निकले। बंगले के बाहर मीडिया का जमावड़ा भी रहा। इस बीच शिवपाल से मिलने कई विधायक व नेता आने लगे। मंत्री नारद राय, एमएलसी रणविजय सिंह, विधायक आशीष यादव, राम लाल अकेला समेत कई विधायक उनसे अपनी भावनाएं व्यक्त करने पहुंचे।
शुक्रवार को निकलेगा कोई रास्ता?
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने गुरुवार रात कहा कि मुलायम सिंह यादव को 50 वर्षों का अनुभव है। शुक्रवार को सपा संसदीय बोर्ड की बैठक है, जिसमें इस मसले का समाधान हो जाएगा। अखिलेश जी और शिवपाल जी साथ काम करना शुरू करेंगे।
कल रात अचानक तेज हो गई सियासी घमासान
समाजवादी पार्टी में चल रही घमासान गुरुवार को देर रात अचानक तेज हो गई। शिवपाल सिंह यादव ने पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और फिर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें मंत्री पद से भी इस्तीफा सौंप दिया। माना जा रहा है कि शिवपाल अपने विभाग छीने जाने के तौर-तरीके से खिन्न थे। फिलहाल समाजवादी पार्टी का सियासी संकट थमता नज़र नहीं आ रहा है। शिवपाल को मनाने की दिन भर चली सभी कवायदें फेल हो गईं। मुख्यमंत्री ने फिलहाल उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। वैसे शिवपाल अपने फैसले पर अड़े हुए हैं।