जबलपुर। अस्पतालों में डॉक्टरों की शैतानी लगातार जारी है। हालात यह हैं कि स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश के बावजूद डेंगू पीड़ित महिला को 12 घंटे तक आॅक्सीजन नहीं दी गई। अंतत: उसकी मौत हो गई। चौंकाने वाला तथ्य तो यह है कि फाइल में आॅक्सीजन दर्ज कर ली गई थी। यह आरोप मृतका रमा विश्वकर्मा के देवर राजेश विश्वकर्मा ने लगाया है।
स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन ने मेडिकल प्रशासन को पाटन निवासी रमा विश्वकर्मा जोकि डेंगू पीड़ित थीं, उनका बेहतर इलाज करने पत्र लिखा। पत्र को लेकर रमा के पति ब्रजेश और उनके छोटे भाई राजेश मेडिकल केज्युएल्टी पहुंचे तो उन्हें आईसीसीयू में बेड नहीं मिला। उनसे कहा गया कि वे हर घंटे वहां पता करते रहें कि बेड जब खाली होगा तब उन्हें दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें वार्ड नं 4 भेज दिया गया।
राजेश का कहना है कि कैज्युअल्टी से ही उनकी फाइल में लिख दिया गया था कि उसकी भाभी रमा को ऑक्सीजन लगाया जाए, लेकिन वहां ऑक्सीजन नहीं लगाया गया। वहां दो सिलंडर रखे थे दोनों ही खाली थे। राजेश का कहना है कि दूसरे दिन शुक्रवार को जब उसकी भाभी की हालत बिगड़ने लगी तो वहां ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों से उसकी बहस हुई उसने कहा कि ऑक्सीजन लगाए तो वहां डॉक्टरों ने कहा कि यह काम अटेंडेंट का है वे करेंगे, वे खुद ही सिलिंडर ले आएं। सुबह करीब 7 बजे राजेश खुद ही नीचे से सिलिंडर लेकर आया लेकिन आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गई।