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यूपी में हुए सर्वे के साथ-साथ प्रशांत किशोर की टीम ने मप्र का भी अध्ययन कर लिया है। यहां उन्हें संगठन काफी कमजोर दिखाई दिया है। इसके चलते कांग्रेस में काफी सारे बदलाव आने वाले दिनों में किए जाएंगे। अरुण यादव को इसका इशारा किया जा चुका है। यादव भी किशोर से कदमताल कर रहे हैं। सुना है दोनों के बीच दो-तीन बार मुलाकात भी हो चुकी है। पिछले दो-तीन बयानों में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसका इशारा कर चुके हैं।
आंकड़े जमा किए
प्रशांत किशोर की टीम ने प्रदेश की 230 सीटों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पृृष्ठभूमि केंद्रवार जमा कर ली है। रणनीति प्रदेश को सात सेक्टरों में बांटकर चुनाव लड़ने की है। इसमें महाकोशल, विंध्य, बुंदेलखंड, मध्य, मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल जैसे क्षेत्र बनेंगे।
गुटबाजी का इलाज क्या
गुटबाजी रोकने के लिए प्रभाव रखने वाले दिग्गजों को तो आगे किया ही जाएगा, लेकिन फोकस चुनिंदा सीटों पर ही रहेगा। कई सीटों पर नेताओं का प्रभाव काम करता है। ऐसी सीटों को छोड़कर पार्टी दूसरे स्थान पर ताकत लगाएगी। कई सीटें ऐसी भी हैं जहां हार-जीत का अंतर काफी कम था। जाहिर है कि पार्टी इन्हें प्राथमिकता देगी।