
अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि पठानकोट की घटना के बाद भी हम सही ट्रैक पर थे, लेकिन 8 जुलाई (इसी दिन बुरहान वानी मारा गया) की घटना हो गई। इसके बाद सबको पता है कि कश्मीर में क्या हुआ। पूरी बातचीत पटरी से उतर गई।
बासित बोले, 'हमारी इच्छा किसी की जमीन पर कब्जा करने की नहीं है। हमारा कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य तय करने के लिए एक मौका मिलना चाहिए। अगर उन लोगों को विश्वास है कि वे भारत के साथ खुश हैं और उससे जुड़ा महसूस करते हैं तो वैसे ही रहें। पाकिस्तान को इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन कश्मीर को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है। कश्मीर महज एक क्षेत्र भर नहीं है, यह किसी क्षेत्र को लेकर विवाद भी नहीं है। यह 1 करोड़ 20 लाख लोगों की जिंदगी का सवाल है।
भारत और पाकिस्तान के मौजूदा संबंधों पर बासित ने कहा, 'हम कठिन हालात में खड़े हैं, लेकिन हम जंग के बारे में नहीं सोच रहे हैं। जंग हल नहीं है, इससे और बहुत सारी समस्याएं पैदा होती हैं। हमें अपनी बातचीत पर जंगोन्माद को हावी नहीं होने देना चाहिए। हमें और ज्यादा परिपक्व होना होगा। हम कुछ समय तक शायद बातचीत न करें, लेकिन हमारी कई समस्याओं का हल बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से ही निकलना है। मुझे उम्मीद है कि हम कूटनीतिक तरीके से इसके लिए जमीन तैयार करेंगे। मैं एक डिप्लोमेट हूं और आशावादी भी। मुझे उम्मीद है कि डिप्लोमेसी की जीत होगी।'
रिश्ते जुमलेबाजी से नहीं चलते
उड़ी हमले के बाद यूएन में भारत की ओर से पाकिस्तान को आतंकी देश कहे जाने को बासित ने ज्यादा तरजीह न देते हुए 'जुमलेबाजी' करार दिया। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से भी ऐसे रोचक शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इससे कोई मकसद हल नहीं होता। बासित ने कहा कि दो देशों के बीच रिश्ते जुमलेबाजी से नहीं चलते। दिल्ली में तैनात पाकिस्तानी उच्चायुक्त उड़ी हमले और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की ओर से कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद पहली बार अपनी बात रख रहे थे। उड़ी हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हुए, जबकि 20 घायल हैं।