भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिला पंचायत अध्यक्षसे 12 साल पहले छीन ली गई लालबत्ती एवं राज्यमंत्री का दर्जा बहाल तो कर दिया लेकिन अब वो विधायकों के निशाने पर आ गए हैं। विधायकों का कहना है कि इससे विधायक के कद व पद प्रभावित होंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष उनसे ज्यादा पॉवरफुल दिखाई देंगे। इससे रुतबे की लड़ाई हर जिले में शुरू हो जाएगी। इधर जिला पंचायत अध्यक्षों का कहना है कि सीएम ने कोई एहसान नहीं किया। जो हमसे छीन लिया गया था उसमें से थोड़ा सा लौटा दिया गया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष एक लंबे समय से लाल बत्ती और जिला पंचायत कर्मचारियों के तबादले के अधिकार की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्य मंत्री का दर्जा तो दे दिया है मगर कर्मचारियों के ट्रांसफर करने के अधिकार जिला पंचायत अध्यक्षों को नहीं दिए हैं। इस फैसले ने विधायकों के बीच हडकंप मच गया है। विधायकों का आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्षों को लाल बत्ती देने के फैसले से प्रोटोकाल में विधायकों का दर्जा जिला पंचायत अध्यक्षों से नीचे हो जाएगा।
विधायकों का मानना है कि संविधान में विधायकों के पास जिला पंचायत अध्यक्षों से ज्यादा अधिकार है। इस वजह से सरकार के इस लाल बत्ती वाले फैसले से जहां विधायकों का प्रोटोकॉल के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्षों से दर्जा कम हुआ है वहीं सार्वजनिक तौर पर भी उनका स्टेटस पर फर्क पड़ेगा। विधायकों का मानना है कि सरकार के इस गलत निर्णय से आने वाले समय में विधायकों और जिला पंचायत अध्यक्षों के बीच प्रतिष्ठा और रूतबे को लेकर टकराव होगा।