
बताया जा रहा है कि आगामी शहडोल और नेपानगर उपचुनावों को देखते हुए उन्हें संविदा नियुक्ति दी गई। सरकार का तर्क है कि एसएस बंसल पुराने अधिकारी हैं और उन्हें चुनाव कराने का लंबा अनुभव है, इसलिए उनकी संविदा नियुक्ति की गई है। चुनाव आयोग में इस समय सभी नए अफसर हैं जिन्हें चुनाव कराने का अनुभव नहीं है, लेकिन लोगों का कहना है कि जब अधिकारियों को चुनाव कराने का अनुभव नहीं तो उन्हें आयोग में क्यों पदस्थ किया गया।
21 में से 15 उपचुनाव जीते
सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग में बंसल के रहते ही मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 21 उपचुनावों में 15 चुनाव जीते हैं। ऐसे में बीजेपी इन्हें लकी मान रही है, क्योंकि अभी हाल ही में शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा का उपचुनाव होना है।
विपक्षी दल कर चुके विरोध
गौरतलब है कि कई बार ऐसे मौके आए जब विपक्षी दलों ने बंसल पर भेदभाव के आरोप लगाए। रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एसएस बंसल के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई थी। अरुण यादव ने आरोप लगाया कि एसएस बंसल सरकार के दवाब में काम कर रहे हैं। अभी हाल ही में घोड़ाडोंगरी चुनाव में भी उन पर सरकार के ऐजेंट की तरह काम करने के आरोप लगे थे।