
मध्यप्रदेश के अधिकांश महाविद्यालय पिछले कई वर्षों से नियमित प्राध्यापक, ग्रंथपाल एवं क्रीड़ाधिकारी की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में हर वर्ष सत्र प्रारंभ में अतिथि विद्वानों की भर्ती की जाती रही है किंतु इस वर्ष सत्र प्रारंभ होने के उपरांत आज दिनांक 08 सितम्बर 2016 तक प्रदेश के कॉलेजों में अतिथि विद्वानों की भर्ती नहीं की गई है। लाखों स्टूडेंट्स रोज कॉलेज आते हैं और बिना पढ़े ही चले जाते हैं। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जिसमें एक प्रिंसिपल के बाद सिर्फ एक ही प्रोफेसर नियमित है। अतिथि विद्वानों के ना होने के कारण कॉलेज, मटरगस्ती का केन्द्र बन गए हैं।
शासन ने खेल कैलेंडर व युवा मोहत्सव कैलेंडर तो जारी कर दिए परंतु कॉलेजों में इनके लिए प्रोफेसर्स ही नहीं है। तमाम गतिविधियां अतिथि विद्वानों के भरोसा ही चलती हैं। अब ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि मप्र का कोई खिलाड़ी कभी ओलंपिक तक पहुंच भी पाएगा।