
अहमदनगर के कोपार्डी गांव में दलित युवक द्वारा एक मराठा नाबालिग लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या के विरोध में हजारों की भीड़ सड़कों पर उतर आई है। मराठा समुदाय के जो लोग सड़कों पर उतरे हैं, उसमें से ज्यादातर युवा हैं या महिलाएं। खास बात है कि इन बड़े मोर्चों का नेतृत्व न तो कोई नेता कर रहा है और न कोई राजनीतिक पार्टी। राजनीति के जानकर इस आंदोलन की तुलना गुजरात के पाटीदार आंदोलन से भी कर रहे हैं।
यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में फैलने लगा है। अहमदनगर में जो मार्च निकाला गया, उसमें लाखों लोग शामिल हुए। बीड में जो रैली निकाली गई, उसमें लगभग 5 लाख लोग शामिल हुए। इसी तरह की रैलियां लातूर, सोलापुर और अमरावती में भी निकालने की योजना है। इसी महीने मुंबई में एक बड़ा मोर्चा बनाने का भी प्लान है, जिसमें 25 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
दलितों के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन अब आरक्षण की मांग पर आ पहुंचा है। मराठा आरक्षण पर बनी कमेटी के कनवीनर और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि ये मोर्चे राजनीतिक नहीं है। ये प्रदर्शन सामाजिक मुद्दों को लेकर हो रहे हैं। आप इनमें एक भी नेता को नहीं देख पाएंगे। राज्य सरकार ने उनकी मांगों पर संज्ञान लिया है और हमारी सरकार इस पर काम कर रही है।