इंदौर। शराब या विलासिता की वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स सबको अच्छा लगता है लेकिन मप्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर भी डबल टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। यह कवायद जीएसटी बिल के पास हो जाने के बाद हो रही है। जीएसटी का अर्थ है सारे टैक्सों को मिलाकर एक टैक्स बनाना ताकि लोगों में भ्रम की स्थिति ना बने।
नई एकीकृत कर प्रणाली जीएसटी पर जानकारी देने के लिए उद्योगपतियों के बीच पहुंचे वाणिज्यिककर आयुक्त ने साफ कर दिया कि जीएसटी लागू होने के बाद भी पेट्रोलियम उत्पादों और शराब पर वैट व सीएसटी लागू रहेगा। इतना ही नहीं जीएसटी के साथ प्रोफेशनल टैक्स भी देते रहना पड़ेगा।
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआईएमपी) द्वारा शुक्रवार शाम आयोजित सेमिनार में उपायुक्त सुदीप गुप्ता और कर सलाहकर आरएस गोयल ने जीएसटी के प्रावधानों को विस्तार से समझाया। आयुक्त राघवेंद्रसिंह ने जीएसटी पर आए सवालों और उत्सुकताएं शांत की। उद्योगपतियों ने थ्रेसहोल्ड लिमिट कम होने पर चिंता जाहिर की। कमिश्नर ने कहा अब तक जीएसटी पर 40 हजार आपत्तियां मिल चुकी हैं। जीएसटी का अभी मॉडल प्रारूप ही जारी हुआ है। अंतिम रूप जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद जारी होगा। उद्योगपति भी अपने सुझाव दें। उसे सही मंच पर रखा जाएगा। चर्चा में एआईएमपी के अध्यक्ष ओपी धूत, सचिव योगेश मेहता, कार्यकारिणी सदस्य जेपी मूलचंदानी, संजय पटर्वधन समेत ढाई सौ से ज्यादा उद्योगपति थे।