
ज्यातिषाचार्य पं.जगदीश शर्मा ने बताया कि नवरात्र अश्विम मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होंगे। इस बार गजकेशरी योग में पर्व की शुरूआत होगी। सूर्य, गुरू व चंद्रमा एक साथ कन्या राशि में लग्न स्थान में होने से गजकेशरी महासंयोग एवं साथ में लक्ष्मी-कुबेर योग भी बन रहा है। यह सभी के लिए लाभकारी एवं सुख समृद्धि दायक है। इस तरह का योग 24 वर्ष बाद बन रहा है। नवरात्र पर्व में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। एक अक्टूबर से शुरू होकर शारदीय नवरात्र पर्व 10 अक्टूबर तक चलेगा।
11 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। पं. शर्मा के मुताबिक देवीपुराण में नवरात्र के प्रारंभ व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताए गए हैं। इसके तहत आगमन के समय रविवार-सोमवार को हाथी। शनिवार-मंगलवार को घोड़ा। गुरुवार-शुक्रवार को पालकी और बुधवार को नौका पर आगमन होता है। इसी तरह प्रस्थान के समय रविवार-सोमवार को भैंसा। शनिवार-मंगलवार को सिंह। बुधवार-शुक्रवार को हाथी और गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान होता है।