
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बुरहान के पिता ने बताया कि उनके बेटे ने 5 अक्टूबर 2010 को उसने घर छोड़ दिया था। उसके बाद उनकी और बुरहान की सिर्फ दो-तीन मुलाकातें हुई थीं, वो भी 2-3 मिनट की। मुजफ्फर वानी ने बताया कि, उन्होंने एनकाउंटर से दो महीने पहले बुरहान को मनाने की भरसक कोशिश की थी कि वो घर वापस आ जाए, लेकिन वो नहीं माना।
बुरहान भारत के लिए क्रिकेट खेलता, पाकिस्तान के लिए नहीं
अपने बेटे के बारे में मुजफ्फर वानी ने बताया कि उसने उसका जन्म 1944 में हुआ था। उस वक्त घाटी में हालात बहुत खराब थे। इसलिए उसने अपने बचपन में घाटी में सबसे ज्यादा अस्थिरता देखी थी। ऐसे में उसका वह दर्द महसूस करना स्वाभाविक था। उन्होंने बताया कि बुरहान जब 10 साल का था, तब उसने इंडियन आर्मी के एक ऑफिसर से कहा था कि वो भारतीय सेना ज्वॉइन करना चाहता है। उसके एक वीडियो से क्रिकेट के प्रति उसका प्रेम भी दिखता है। वो भारत के लिए खेलना चाहता था, पाकिस्तान के लिए नहीं।
जताया भरोसा- तीसरा बेटा नहीं उठाएगा बंदूक
मुजफ्फर वानी ने बताया कि अप्रैल 2015 में उनका बड़ा बेटा भी सेना के हाथों मारा गया था। लेकिन यह भरोसा भी जताया कि उनका तीसरा बेटा बंदूक नहीं उठाएगा। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा खालिद तब पिकनिक मनाने गया था, जब उसके सुरक्षाबलों ने मार गिराया। पुलिस का मानना था कि वो बुरहान से मिलने गया था।