भोपाल। मप्र के 48 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं, जबकि सरकार उन्हें 'नाम का नियमित' करने जा रही है। वो स्थाईकर्मी कहलाएंगे और नियमित कर्मचारियों की तरह उन्हें भी नियमित वेतन मिलेगा परंतु कर्मचारियों के मौलिक अधिकार उनके पास नहीं होंगे। कर्मचारियों की तरह भत्ते और सुविधाएं उन्हें कभी नहीं दी जाएंगी। शासन के इस प्रस्ताव पर सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य ने साइन कर दिए हैं, अब फाइल कैबिनेट में जाएगी और वहां से अप्रूव होते ही आदेश जारी हो जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री जयंत मलैया और सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य को जिम्मेदारी सौंपी थी।दोनों मंत्रियों ने आधा दर्जन बैठकों के बाद कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह वेतनमान देने का नया फॉर्मूला बनाया है। इसमें अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल श्रमिकों को चार हजार, साढ़े चार हजार और पांच हजार रुपए का स्केल दिया जाएगा। इसके अलावा 125 प्रतिशत महंगाई भत्ता भी दिया जाएगा। इससे इन्हें 10 से 15 हजार रुपए माह तक मिलने लगेंगे।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की जगह इन्हें स्थाई कर्मी जैसा पदनाम दिया जा सकता है। इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी के जहां भी पद खाली होते जाएंगे, वहां इन्हें नियमित किया जाएगा। लोक निर्माण, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और नगरीय विकास विभाग में कुछ कर्मचारियों को पिछले माह ही नियमित किया गया है।
10-11 हजार मिलते हैं दैवेभो को
अभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल श्रमिकों के लिए तय कलेक्टर रेट से भुगतान होता है। इसके अलावा 10 साल नौकरी करने वालों को डेढ़ हजार और 20 साल से ज्यादा काम करने वाले कर्मचारियों को ढाई हजार रुपए महीना विशेष भत्ता मिलता है। दोनों को मिलाकर भी इन्हें 10-11 हजार रुपए महीने से ज्यादा नहीं मिल पाता है।