
अपाक्स के बैनरतले गांधी भवन में आयोजित महापंचायत में नेताओं ने कहा कि समाज के लोगों ने ही पिछड़ा वर्ग को ठगा है। दिग्विजय सिंह की सरकार ने पिछड़ों का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था, जिसे उमा भारती के कार्यकाल में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया। सरकार चाहती, तो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती थी, लेकिन सरकार की मंशा ही साफ नहीं है।
पूर्व मंत्री राजमणि पटेल ने पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण देने की वकालत करते हुए कहा कि सीएम, कलेक्टर के बच्चों को जो शिक्षा मिलती है, वही गरीब के बच्चे को भी मिले। शिक्षा पर कब्जा पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य एलके यादव ने कहा कि देश में समान शिक्षा प्रणाली हो जाए, तो हमें आरक्षण की जरूरत नहीं है। धनाढ्यों ने शिक्षा पर कब्जा कर लिया है।
यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री से जातीय जनगणना घोषित करने और आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की मांग है। उन्होंने कहा कि न्यायालयीन सेवा में भी आईएएस-आईपीएस की तरह परीक्षा होनी चाहिए। जातिगत जनगणना पूर्व आईएएस सरदार सिंह डंगस ने भी जातिगत जनगणना की वकालत की।
उन्होंने कहा कि देश में समान शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है। डंगस ने प्रदेश में दौरा कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि वे ग्वालियर संभाग का दौरा करेंगे और एससी-एसटी, ओबीसी के लोगों को आरक्षण की जरूरत बताएंगे। कम छात्रवृत्ति विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार ने पिछड़ों को ज्यादा देने की बजाय छीनना शुरू कर दिया है। इस वर्ग के छात्रों को अब पहले से कम छात्रवृत्ति दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि समाज से जुड़े मुद्दों को वे सदन में रखेंगे। राजधानी की पूर्व महापौर विभा पटेल ने काउंसलिंग प्रणाली को एससी-एसटी, ओबीसी के लिए नुकसानदायक बताया। वहीं कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया ने पिछड़ों के आरक्षण को लेकर सरकार की नीयत में खोट बताया। उन्होंने समाज से कहा कि वर्तमान में आरक्षण का लाभ उन्हें मिलता है, जो दिखते हैं। गरीबों को भी देखें।