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यह भी बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर यह सब हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह कार्यशैली रही है कि वे अपने मंत्रियों के यहां आरएसएस या खुद के भरोसे के स्टाफ को रखवाते हैं। इधर, सीएमओ के ज्यादातर लोगों का कहना है कि डॉ. कुमार ओएसडी बनने से पहले कभी मुख्यमंत्री से नहीं मिले।
डॉ. कुमार ने एक सितंबर से सीएम सचिवालय में बतौर ओएसडी काम शुरू कर दिया है। वे सीएम हाउस में कामकाज देखेंगे। देशभर से चुन-चुन कर ऐसे 35 लोगों को सरकार की सेवाओं में लाया गया है। डॉ. कुमार हाल ही में भोपाल आए हैं। वे इससे पहले छत्तीसगढ़ में दस साल तक देना बैंक में काम करते रहे।
फटाफटा मिली एनओसी, तत्काल हुई नियुक्ति
संघ के इस निर्णय को अमल में लाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ओर से तुरंत एनओसी दी गई। हालांकि यह कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने डॉ. कुमार की सेवाएं चाही थीं। सीएमओ का कहना है कि ऐसी किसी प्रतिनियुक्ति में सबसे पहले मूल विभाग की एनओसी और राज्य सरकार की अनुशंसा लगती है। दोनों तरफ से क्लियरेंस मिलने के बाद सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर दी जाती हैं। देशभर के जिन 35 लोगों को अलग-अलग जगह भेजा गया, वे बैंक की ही तरह किसी न किसी दूसरे कैडर में थे। डॉ. कुमार को प्रतिनियुक्ति पर लेने के आदेश राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 अगस्त को निकाले थे।
हां, मैं संघ के विचारों से जुड़ा हूं
राज्य सरकार ने डिमांड की है, इसीलिए प्रतिनियुक्ति पर आया हूं। मेरी विचारधारा संघ की है तो क्या हुआ? बैंक से जुड़े लोग सीबीआई या इकॉनोमिक ऑफेंस जैसे मामलों की पड़ताल के लिए प्रतिनियुक्ति पर जाते रहे हैं। मैं भी प्रतिनियुक्ति पर यहां आया हूं। जो काम मिला है, उसे करूंगा। मेरी सीनियॉरिटी बनी रहेगी। मैं दिल्ली व छत्तीसगढ़ भी रहा हूं। हाल ही में भोपाल शिफ्ट हुआ था। अब सीएम सचिवालय में हूं। यह सही है कि देशभर में ऐसे कई लोगों की पोस्टिंग हुई है।’