भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मध्यप्रदेश पर 5 गुना कर्जा बढ़ गया है। अब मप्र का हर नागरिक 15500 का कर्जदार है। प्रदेश का खजाना खाली हो गया है और सरकार लगातार कर्जा लेती जा रही है। महंगे ब्याज वाले कर्ज और उसके ब्याज को पटाने के लिए टैक्स बढ़ा रही है।
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि पिछले तीन महीने में सरकार 9 हजार करोड़ कर्ज ले चुकी है और मौजूदा वित्तीय वर्ष में कर्ज का आंकडा 12 हजार 700 करोड़ तक पहुंच गया है। सरकार यह कर्ज विकास के लिए लेना बता रही है परंतु सूत्रों ने दावा किया है कि सरकार ने यह कर्जा शहडोल उपचुनाव से पहले विकास तंत्र दिखाने और चुनाव में विरोध ना हो, इसलिए अध्यापकों को समय से पहले 6वां वेतनमान देने के लिए लिया है।
शिवराज सरकार के दावों और वादों पर जाएं तो ऐसा लगता है कि देश में मध्यप्रदेश जैसा तेजी से विकास कर रहा कोई दूसरा राज्य नहीं है। रविवार को ही खत्म हुई इन्वेस्टर्स मीट में भाजपा के आला नेताओं ने मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश, समृद्ध मध्यप्रदेश और यहां तक कि देश के मुख्य प्रदेश के नाम से नवाजा हैं।
लेकिन अगर सरकार के इन दावों को छोड़कर हकीकत पर जाए तो मध्यप्रदेश कर्ज प्रदेश हो गया है और पिछले तीन माहों में मप्र सरकार ने विकास कार्यों के नाम पर 6 किस्तों में 9 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया। प्रदेश सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से गवर्नमेंट सिक्यूरिटी के आधार पर यह कर्ज लिया है। आरबीआई ने प्रदेश सरकार के लिए 10 साल के लिए कर्ज दिया है।
जहां तक मध्यप्रदेश की बात करें तो 2003 में भाजपा सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश करीब पांच गुना ज्यादा कर्जदार हो गया है। मार्च 2003 तक मध्यप्रदेश पर 20 हजार 147 करोड़ रूपए का कर्ज था लेकिन मौजूदा स्थिति में ये आंकडा 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। मौजूदा स्थिति में मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर साढ़े 15 हजार रुपए का कर्ज है। हर राज्य रिजर्व बैंक आफ इंडिया की गवर्नमेंट सिक्यूरिटी के आधार पर अपनी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत कर्ज ले सकता है। मध्यप्रदेश सरकार इस लिहाज से 23 हजार 500 करोड़ है, जिसमें से वह 9 हजार करोड़ रुपए ले चुकी है।
वैसे तो सरकार ज्यादातर कर्ज निर्माण कार्यों पर लेने की बात कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि चुनावी वादों के बोझ के चलते सरकार को कर्ज की जरूरत पड़ रही है। एक तरफ दैवेभो कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी बनाना, शिक्षकों को छठवें वेतनमान का एलान और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान की घोषणा के चलते ये हालात बने हैं।
प्रदेश सरकार के पिछले तीन महीनों में लिए कर्ज पर गौर करें तो 5 अगस्त को सरकार ने 1500 करोड़, 19 अगस्त को 1000 करोड़, 8 सितंबर को 1500 करोड़, 23 सितंबर को 1000 करोड़, 6 अक्टूबर को 2000 करोड़ और 21 अक्टूबर को 2000 करोड़ कर्ज लिया गया है।