हिमाचल प्रदेश सरकार ने शनिवार को घोषणा की है कि वन विभाग द्वारा बंदरों को जिंदा पकड़ने या मारने पर एक हजार रुपए प्रति बंदर मिलेगा। राज्य की 37 तहसील में बंदरों को हिंसक घोषित किया गया है, क्योंकि यहां बंदरों ने काफी उत्पात मचाया हुआ है और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। अभी एक प्रस्ताव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पास लंबित है, जिसमें 53 और तहसीलों में बंदरों को हिंसक घोषित किया जाना है। राज्य के वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने घोषणा कि है कि इन इलाकों में एक बंदर को मारने जो 300 रुपए प्रोत्साहन राशि मिलती थी, उसे बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया। इसके साथ ही बंदर को जिंदा पकड़कर नसबंदी करने पर मिलने वाली राशि को 500 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए कर दिया गया है। साथ ही घोषणा की गई है कि अगर कोई विशेष इलाके में बंदरों के एक झुंड के 80 फीसदी बंदरों को पकड़ लेता है तो यह राशि 1000 रुपए प्रति बंदर हो जाएगी।
हालांकि, प्रदेश के किसानों के संगठनों ने सरकार के इन कदमों को बकवास बताया है। किसानों के बंदरों से होने वाले नुकसान के लिए लड़ाई लड़ रही हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने बताया, ‘सरकार पहले ही बंदरों की नसबंदी के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब उन्होंने एक नई नौटंकी शुरु की है, जिसमें जनता का पैसा खर्च हो रहा है। यह कोई समाधान नहीं है, बल्कि इससे जरिए किसानों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है।’
तंवर ने कहा कि जब बंदरों को हिंसक घोषित ही कर दिया गया है तो केवल उन्हें चुन-चुन कर मारना ही समाधान है। सरकार कह रही है कि इन बंदरों को नॉर्थ ईस्ट में एक्सपोर्ट और ट्रांसपोर्ट के लिए बात की जा रही है, जो कि कभी नहीं होगा। सात ही तंवर ने पूछा कि सरकार इस मामले को पीएम मोदी के सामने क्यों नहीं ले जाती। सरकार को बंदरों के बॉयलोजिकल यूज के लिए यूएस और अन्य देशों में एक्सपोर्ट पर लगाए गए बैन को हटाना होगा।