श्रीनगर। कश्मीर में आतंकवादियों ने उपद्रवियों की भीड़ में शामिल होकर 20 स्कूलों को तबाह कर दिया। इसमें 17 सरकारी और 3 प्राइवेट स्कूल हैं। इसके पीछे आतंकियों का टारगेट कश्मीर में शिक्षा की रीढ़ तोड़ना और लोगों को अनपढ़ बनाए रखना है। इलाके में करीब 20 लाख बच्चे पिछले 4 महीनों से स्कूल नहीं गए हैं। पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है।
एक अंग्रेजी अखबार ने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से जानकारी देते हुए बताया है कि पिछले तीन महीनों के दौरान आंतकियों और अलगाववादियों ने घाटी में 17 सरकारी स्कूलों और तीन निजी स्कूलों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है।
8 जुलाई को हिजबुल कंमाडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से ही घाटी में स्कूल-कॉलेज बंद हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस कारण पूरे कश्मीर में लगभग 20 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। हालांकि अलगाववादियों का प्रभाव केवल कश्मीर तक ही सीमीत है। सीमावर्ती क्षेत्रों, जैसे- गुरेज, तंगधार और कश्मीर में उड़ी, तथा जम्मू एवं लद्दाख क्षेत्रों में बच्चे बिना व्यवधान के ही स्कूल जा रहे हैं।
पाकिस्तान प्रायोजित पत्थरबाजों की ब्रिगेड ने मंगलवार को दो और स्कूलों को आग के हवाले कर दिया, जिनमें एक श्रीनगर शहर के नूरबाग और दूसरा अनंतनाग जिले के ऐशमुकाम में स्थित है। अलगाववादियों और आतंकी समूहों द्वारा दी गयी धमकी के बाद स्कूल-कॉलेज लगातार बंद चल रहे हैं। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने तो बकायदा जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री को धमकी देते हुए कहा था की वह स्कूल खोलने की कोशिश ना करें। 27 सितंबर को अख्तर को यह धमकी तब दी गयी थी जब वह स्कूल-कॉलेजों को खुलवाने का प्रयास कर रहे थे।
लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने अपने मुखिया महमूद शाह का हवाला देते हुए कहा था, "कश्मीरी इतने पढ़े- लिखें हैं कि वो यह फैसला खुद कर सकते हैं कि उनके लिए क्या बुरा है और क्या अच्छा। यदि नईम अख्तर नहीं माने तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।" इसके बाद नईम अख्तर ने पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को एक खत के जरिए स्कूल-कॉलेजों को चलने देने का आग्रह किया था, लेकिन इसका उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। घाटी में लगातार बंद से अजिज आ चुके सैकड़ों अभिभावक अब अपने बच्चों को जम्मू और दिल्ली भेज रहे हैं ताकि वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।