भोपाल और उसके आसपास के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या काे देखते हुए इन्हें संवारा गया है लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम की अनदेखी के चलते ये पर्यटन स्थल बदहाल होते जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संरक्षित चुनिंदा धरोहर तो सुरक्षित है लेकिन असंरक्षित पुरा संपदा की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अगर यही हाल रहा तो बाग फरहत अफजा के ऐतिहासिक द्वार की तरह अन्य धरोहर भी ध्वस्त हो जाएंगी।
मोतीमहल- वैसे तो यह महल संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल है। लेकिन इसके अहाते में नगर निगम ने घोषित रूप से पार्किंग बना दी है, जहां निगम के भारी वाहन तक पार्क होते हैं। इन वाहनों की आवाजाही से महल को क्षति पहुंच रही है।
गौहरमहल- वैसे तो यह धरोहर मप्र हस्तशिल्प विकास निगम के आधिपत्य में है। लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम की है। महल के एक हिस्से पर एक व्यक्ति ने अतिक्रमण कर लिया है, जिसे हटाने में जिला प्रशासन नाकाम रहा है।