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जेल अधिकारियों के मुताबिक पिछले दिनों मुख्यमंत्री के साथ हुई समीक्षा बैठक में इस बारे में चर्चा की गई। इसमें कहा गया कि प्रदेश की जेलों में बंद तीन हजार बुजुर्ग कैदियों को रिहा कर दिया जाए तो जेलों पर से बोझ कम हो जाएगा। प्रस्ताव बनाकर अनुमति के लिए सरकार को भेजा जाएगा। प्रस्ताव में यह भी शामिल है कि इन्हें होशंगाबाद की तर्ज पर बन रही खुली जेलों में ट्रांसफर कर दिया जाए। इनमें उन कैदियों को पात्र माना जा सकता है जो आजीवन कारवास में सात साल की सजा काट चुके हैं।
युवा कैदी करते हैं देखभाल
ग्वालियर जेल में कुछ कैदी 100 साल से अधिक उम्र के हैं। कई जेलों में बीमार कैदियों पर मेडिकल बजट का ज्यादातर हिस्सा खर्च करने के साथ ही उनकी देखभाल के लिए युवा कैदियों को लगाना पड़ता है।
योजना बना रहा जेल विभाग, मेडिकल बजट का बड़ा हिस्सा हो रहा खर्च
38 हजार कैदी प्रदेशभर की जेलों में बंद
8 करोड़ रुपए है मेडिकल बजट
3 हजार कैदी (प्रदेश में) 65 साल पार
5 करोड़ (लगभग) हो जाता है बीमारी पर खर्च
(जेल अधिकारियों के मुताबिक)