नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों ने सातवें वेतन आयोग को लेकर सरकार से चल रही बातचीत में अपने संगठन के माध्यम से यह मांग रखी है कि सरकार सातवें वेतन आयोग के बाद अनोमली दूर करने के इरादे बनाई गई समितियों में दी गई एनोमली की परिभाषा में बदलाव करे।
कर्मचारियों के कंफीडरेशन ने ज्वाइंट कंसलटेटिव मैशेनरी (जेसीएम) के सचिव को लिखी चिट्ठी में यह मांग की है डीओपीटी सातवें वेतन आयोग के बाद पत्र संख्या ओएम नंबर. 11/2/2016-JCA तारीख 16 अगस्त 2016 को जो एनोमली की परिभाषा दी है उसे बदलकर ओएम नंबर. 19/97-JCA, तारीख 6 फरवरी 1998 को दी गई परिभाषा से बदल दिया जाए। यह परिभाषा पांचवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल और कर्मचारी संगठनों में हुई बैठक में स्वीकृत किया गया था।
इसके अलावा कर्मचारियों की एक अहम मांग यह भी की है कि सरकार द्वारा एमएसीपी (मोडिफाइड एस्युर्ड करियर प्रोग्रेशन) पर एकतरफा लागू किए गए नियमों को वापस लिया जाए। एमएसीपी पर सातवें वेतन आयोग द्वारा दिए गए अन्य नियमों पर भी कर्मचारी नेताओं ने आपत्ति जताई है और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि इस मद में छठे वेतन आयोग ने पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बदवाव नहीं किए थे। नेताओं ने कहा कि छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के बाद भी कर्मचारियों ने प्रमोशन से जुड़े कई मुद्दों को उठाया और साथ ही आई उससे तमाम दिक्कतों को कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट से मिले आदेश को लागू नहीं किया गया।
इसलिए कर्मचारी नेताओं ने बताया, कर्मचारियों के प्रमोशन में एमएसीपी के जरिए 'बहुत बढ़िया' (very good) ग्रेडिंग के बाद प्रमोशन के नियम को भी बदलने की मांग की है. वे इस संबंध में पुराने नियम की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि नए नियम से अधिकतर कर्मचारियों को प्रमोशन से वंचित रहना पड़ सकता है। इसका सीधा असर कर्मचारियों के वेतन में होगा. इसलिए कर्मचारियों ने मांग की है कि प्रमोशन में 'वेरी गुड' वाले बेंचमार्क को वापस लिया जाए।
साथ ही कर्मचारी संगठन ने एक अन्य महत्वपूर्ण मांग में यह बात उठाई है कि जब कर्मचारी प्रमोशन के बाद नए कैडर में जाता है तो उसे उसी कैडर की नई एंट्री के रूप में देखा जाए।