
विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र के सिटी सेंटर कैलाश विहार स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में पिछले कुछ दिनों से लगातार ऐसे आवेदन आ रहे थे। जिसमें बैंक के नीचे बने एटीएम का उपयोग करने वालों ने ट्रांजेक्शन तो किया, लेकिन पैसे नहीं निकले। मशीन चेक करने पर भी ट्रांजेक्शन फेल रिकॉर्ड में दर्ज हो रहा था। ऐसे में बैंक प्रबंधन द्वारा शाम तक कस्टमर के खाते में उतनी ही रकम वापस जमा कराई जाती थी। पर सीधे तौर पर यह रकम बैंक के खाते से कट रही थी। पिछले कुछ समय में 2 से 3 लाख रुपए इस तरह निकल चुके थे। जिस पर ब्रांच मैनेजर अतुल कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया।
जब मामले की पड़ताल करने के लिए एटीएम बूथ में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकाली गई तो कुछ हरकतें संदिग्ध नजर आईं। कुछ ऐसे चेहरे नजर आए जिन्होंने बार-बार आवेदन दिए और मशीन से छेड़छाड़ करते नजर आए। इस पर बैंक प्रबंधन ने विश्वविद्यालय पुलिस से संपर्क किया और घेराबंदी शुरू की। सोमवार को दो युवक आए, जैसे ही उन्होंने एटीएम के कार्ड रीडर में कार्ड डाला और छेड़छाड़ शुरू की तो बैंक के स्टाफ ने उन्हें पकड़कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया। इसके बाद एक अन्य युवक आया। उसे भी रंगे हाथ पकड़ लिया।
तीनों को थाने लाकर पूछताछ की तो पहले दो पकड़े गए युवकों की पहचान बांदा यूपी निवासी सत्यम परिहार व राहुल यादव के रूप में हुई, जबकि तीसरे बदमाश की पहचान रायबरेली यूपी निवासी शिवेन्द्र सिंह के रूप में हुई। यह छात्र है और अभी ग्वालियर में ठहरा हुआ है, जबकि बांदा निवासी दोनों बदमाश सोमवार को ही बाइक से ग्वालियर रुपए आए थे और रुपए निकालने पहुंच गए थे। इससे पहले भी ये एटीएम से रुपए निकालकर जा चुके हैं।
किस ट्रिक से निकालते थे रुपए
पूछताछ में चौकाने वाला खुलासा हुआ। इस ट्रिक को अभी तक शहर में बदमाशों द्वारा उपयोग नहीं किया गया था। आरोपी एटीएम मशीन के कार्ड रीडर में अपना एटीएम कार्ड डालते थे। उसके बाद सारी प्रोसेस पूरी करते थे। अमाउंट टाइप करने के बाद जैसे ही कैश आने से पहले कैश डिस्पेंसर का शटर खुलने को होता था तो ये उसे पकड़ लेते थे। अमाउंट में टाइप किया गया कैश गेट तक आ गया, लेकिन शटर बंद होने से बाहर नहीं निकल पाता था। कम्प्यूटर 5 मिनट में शटर पर 3 बार फोर्स करता है। ऐसे में शटर जाम रहे तो वह वापस मशीन को ट्रांजेक्शन फेल का मैसेज देता है। इसका मतलब कस्टमर को पैसे नहीं मिले, जबकि 5 मिनट बाद उंगली से पकड़े डिस्पेंसर शटर को ठग खोलकर आ चुका पैसा उठा लेते थे।
कम्प्यूटर के ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद पैसे उठाने से बैंक के विथड्रॉल में रिकॉर्ड नहीं आता था। इसके बाद ठग बैंक में एक एप्लीकेशन लगाता था कि सर्वर डाउन होने के कारण उसे पैसा नहीं मिला है, जबकि प्रोसेस पूरी होने के बाद मशीन बंद हो गई। जिस पर बैंक शाम तक कस्टमर के खाते से कटी रकम वापस जोड़ देती थी।
कानपुर में बैठा है मास्टर माइंड
इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ यह घटना इसलिए ज्यादा हो रही थी कि कस्टमर के पैसे न निकलने और मोबाइल पर बैलेंस कटने की शिकायत का 24 घंटे में निराकरण बैंक प्रबंधन कर देती थी। पकड़े गए आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने यह ट्रिक कानपुर में एक युवक से सीखना बताया है। उनका कहना था कि वह पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं। अब पुलिस मास्टर माइंड की तलाश कर रही है।
और भी बदमाशों की तलाश
पुलिस ने बताया कि बैंक ने फुटेज निकालकर तीन ठगों को पकड़ा है। पर ठग अभी और भी है। करीब एक महीने में 10 से 15 वारदातें हो चुकी हैं। बैंक के पास कुछ और युवकों की फुटेज भी हैं। पर वह अभी पकड़े नहीं गए हैं। उनके लौटने का इंतजार किया जा रहा है।