
न्यायमूर्ति वंदना कासरेकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता डिंडौरी निवासी मिथुन कुमार सैय्याम की ओर से अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की मां सहायक शिक्षक थीं, जिनका सेवा में रहने के दौरान 1998 में निधन हो गया।
चूंकि उस समय याचिकाकर्ता नाबालिग था, अतः वह अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन नहीं कर सका। लेकिन उसकी बालिग बहन ने आवेदन किया था। विभाग ने बहन का आवेदन दस्तावेज समुचित न होने का तर्क देकर खारिज कर दिया था।
29 सितम्बर 2014 को राज्य शासन की ओर से अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में नवीन नीति जारी की। जिसके तहत बालिग होने पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। याचिकाकर्ता ने इसी के तहत आवेदन किया। जब आवेदन को दरकिनार कर दिया गया, तो न्यायहित में हाईकोर्ट आना पड़ा।