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चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार यह प्रोजेक्ट तिब्बत के जाइगस में है। यह जगह सिक्किम के नजदीक पड़ती है। जाइगस से ही ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में बहते हुए दाखिल होती है।
कहीं यह जवाबी दबाव तो नहीं
चीन ने यह काम ऐसे वक्त में किया है, जब उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल समझौते के तहत होने वाली बैठक रद्द कर दी थी। साथ ही इस समझौते की समीक्षा करने का भी फैसला किया था। भारत ने यह फैसला पाक पर दबाव बनाने के लिए किया था। ऐसे में चीन का ताजा रुख इस आशंका को बढ़ावा देता है कि कहीं वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत पर जवाबी दबाव तो नहीं बना रहा।
भारत और चीन के बीच कोई जल समझौता नहीं
इस साल मार्च में केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री सांवर लाल जाट ने कहा था कि भारत ने बांधों की वजह से होने वाले असर को लेकर चीन के सामने अपनी चिंताएं रखी हैं। भारत और चीन के बीच कोई जल समझौता नहीं है। हालांकि, दोनों देशों ने सीमा के दोनों ओर बहने वाली नदियों को लेकर एक्सपर्ट लेवल मेकेनिजम बनाया है। 2013 में दोनों देशों ने नदियों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर भी हस्ताक्षर किए थे।