
अब प्रश्न ये उठता है कि क्या शासकीय अधिवक्ता काबिल नही है, यदि है तो पृथक से वकील क्यों लगाये जा रहे हैं और नही है तो अन्य प्रकरणों में इनकी सेवाएं क्यों ली जा रही है और इनकी मोटी फ़ीस का भुगतान शासन क्यों कर रहा है?
सरकार सपाक्स के वकीलों की फीस भी भरे और जो निर्णय न्यायालय दे उसे मान्य करे क्योंकि शासन के लिए तो दोनों ही पक्ष समान हैं। जो राशि एक वर्ग विशेष को संतुष्ट करने असंवेधानिक प्रकरण पर सरकार द्वारा खर्च की जा रही है उसका सभी स्तरों पर पुरजोर विरोध होना चाहये और सभी जिलों द्वारा शासन के इस पक्षपात पूर्ण निर्णय के विरोध में ज्ञापन भी दिया जाना चाहिये।
- श्री शोऐब सिद्धिकी सपाक्स के प्रवक्ता हैं।