झारखंड के दुमका जिले में भगवान शंकर का एक ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी मांग को पूरा कराने के लिए धरने पर बैठते हैं। आलम यह है कि कई भक्त तो भगवान से अपनी मन्नतें पूरी कराने के लिए महीनों तक धरने पर बैठे रहते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं दीनबंधु झा। जो छह साल से धरने पर बैठे हैं।
दीनबंंधू झा ने बताया कि वे पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। उनका भरा-पूरा परिवार है। दिल्ली में अपनी नौकरी, मकान, बेटा-परिवार सबकुछ वे छोड़कर छह साल से बासुकीनाथ मंदिर में धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक भगवान उनका दुख-दर्द हर नहीं लेंगे वे यहां से हटने वाले नहीं हैं।
भगवान के दर पर 40 लोग दे रहे हैं धरना
बाबा धाम से करीब 45 किलोमीटर दूर झारखंड के दुमका जिले में स्थित बासुकीनाथ मंदिर में भक्तों के धरना देने की पुरानी परंपरा है। अभी भी करीब 40 लोग दुख दर्द को दूर कराने के लिए मंदिर में धरना दे रहे हैं। इनमें से कई अपने रोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों के पास जाने की बजाय मंदिर में ही दिन-रात पड़े रहते हैं। मंदिर में लोगों से पूछिए तो ऐसी अनगिनत कहानियां, दृष्टांत मिल जाएंगे जब किसी कैंसर रोगी, असाध्य रोगी या मेडिकल साइंस से नकार दिया गया रोगी बाबा के दरबार में धरना देकर भला चंगा हो गया।
भगवान करते हैं दीवानी और फौजदारी मुकदमें की सुनवाई
लोगों की ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ के दरबार में दीवानी मुकदमों की सुनवाई होती है और बासुकीनाथ में फौजदारी मुकदमे की सुनवाई होती है। ईश्वर से सुनवाई की आस में ही कोई यहां छह महीने से हैंं तो कोई छह साल से धरने पर बैठा है।
मेरे सपने में आए थे भोले बाबा
सिविल इंजीनियर दीनबंधु झा की बात करें तो वह तेज पेट दर्द से सालों से परेशान थे। बकौल झा, दिल्ली के एम्स से रांची के रिम्स तक तमाम जांच के बावजूद उनका रोग कोई नहीं पकड़ पाया। जब वे रांची से इलाज करा कर वापस एम्स में इलाज के लिए दिल्ली जा रहे थे, तभी उन्हें रेल में अचानक तेज दर्द उठा। सामने एक साधु बैठा था। उसने कहा कि तुम बासुकीनाथ में इलाज क्यों नहीं कराते हो।
झा ने पूछा कि क्या कोई डॉक्टर है वहां। इस पर साधू ने इस अंदाज में उसे समझाया कि दिल्ली में रेल से उतरने के दूसरे ही दिन बासुकीनाथ जाने के लिए सुल्तानपुर की ट्रेन उन्होंने पकड़ ली। बकौल, दीनबंधु मंदिर पहुंचने के बाद बाबा का दर्शन कर वहीं मंदिर परिसर में थोड़ी देर की नींद लगी तो सपने में बाबा भोलेनाथ आए और कहा कि तुम मुझे भजन सुनाओ, दुरुस्त हो जाओगेे। मंदिर में सुबह शाम भजन सुनाने और दिन में मंदिर की साफ-सफाई करने लगे। छह महीने में ठीक होने के बाद वापस जाना चाहा। फिर सपने में बाबा आए और रोक लिया। तब से यानि छह साल से वे यहीं हैं और इंतजार कर रहे हैं बाबा की हरी झंडी का। ऐसे एक दो नहीं, तीन से चार दर्जन लोग पूरे साल बाबा मंदिर में धरना देते हैं।