हम जानते हैं कि आप बहुत व्यस्त रहते हैं। पर क्या करे हम भी अपनी मज़बूरी क़िसको बताये।हम अतिथि शिक्षकों के बारे में आपने कुछ सोचा है क्या? या नहीं? सर जी सुनने में आया था कि हमारा मानदेय दोगुना हो जायेगा। पर स्थिति ये है क़ि अभी तक जुलाई से अक्टूबर हो गया अभी तक मानदेय नही मिला। श्रीमान जी दीवाली पर कम से कम हमे दिये तो जलाने देंगे या नहीं? हमारा तो वर्तमान ही अँधेरे में है। स्कूल में भी पूरा समय रोकते हैं। तो हम कोई दूसरा पार्ट टाइम जॉब भी नही कर पाते है।
एक बार आप अपने अधिकारीयों और परमानेंट शिक्षको से पूछ कर देखें क्या वो 2500 या 3500 या 4500 रूपये में 10 बजे से 5 बजे तक बच्चों को पढ़ा सकते हैं। पूछें कि क्या वो बिना वेतन के अपना परिवार चला लेंगे? या आप चला लेंगे? ऊपर से भविष्य में आपको काम पर रखे या ना रखे यह भी निश्चित नहीं हो।
श्रीमान जी, मंहगाई गरीबों के लिए भी तो बढ़ रही है ना? विधायकों के भत्ते बढ़ जाते है।अधिकारीयों और परमानेंट शिक्षको को 6वॉं या 7वॉं वेतनमान मिलने को है। तो हमसे आपकी क्या बुराई है जो दोगुना मानदेय तक नही दिया जा सकता? में इतना कहना चाहता हूँ क़ि हमारे भी परिवार वाले है। सोचिये श्रीमान जी, क़ि हम 3 महीने से कैसे खाना खा रहे होंगे? और किस आशा से हम अपना कार्य कर रहे होंगे।
धन्यवाद
सभी अतिथि भाईयो की ओर से ।।।