
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि विजयादशमी के दिन सुरेश यादव बैठक कर रहे थे। उसी वक्त बैहर पुलिस स्टेशन से एडिशनल एसपी राजेश शर्मा समेत 4 गाड़ियों में पुलिस कर्मी आए और कार्यालय में घुसकर सुरेश यादव के साथ मारपीट की एवं उन्हें थाने में बंद कर दिया।
क्या कार्रवाई की है सरकार ने
घटना के बाद आरएसएस ने कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया था। शिवराज सरकार ने मामले को संवेदनशील मानते हुए बड़ी कार्रवाई की है। संघ प्रचारक को गिरफ्तार करने वाले एडिशनल एसपी राजेश शर्मा, टीआई जिया उल हक समेत कई पुलिस अधिकारियों को तत्काल संस्पेंड किया गया एवं उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया। इतना ही नहीं 2 होमगार्ड सैनिकों को बर्खास्त किया गया एवं एसपी असित यादव व आईजी डीसी सागर को हटा दिया गया।
कार्रवाई के खिलाफ डेमोक्रेटिक लॉयर फोरम हाईकोर्ट में
इस मामले में हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यह दावा करते हुए फोरम ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए क्रिमिनल केस को रद्द करने और सस्पेंड हुए सभी पुलिस अधिकारियों को बहाल करने की मांग की है। याचिका पर हाल में सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने गृह विभाग और पुलिस सहित 6 को नोटिस जारी किया था। इसमें एक हफ्ते के अंदर जवाब पेश करने को कहा गया था। मामले में पैरवी कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस याचिका के पीछे पुलिस महकमे के 300 मैदानी अधिकारी एकजुट हैं। जानकारी के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस पर कार्रवाई की गई है। इस मामले की जांच CBI से कराने की मांग भी उठाई गई है।
आरएसएस के प्रदर्शन को लेकर भी लगी है याचिका
आरएसएस ने जबलपुर में संघ प्रचारक मारपीट कांड को लेकर प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन मालवीय चौक पर किया गया। हाईकोर्ट ने मालवीय चौक पर धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित कर रखा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने इस मामले में अवमानना याचिका दायर की है जिसमें हाईकोर्ट ने जबलपुर के कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी व पुलिस अधीक्षक डॉ.आशीष को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। बता दें कि इस प्रदर्शन के दौरान ज्ञापन लेने के लिए खुद कलेक्टर/एसपी प्रदर्शन स्थल पर जा पहुंचे थे।