भोपाल। कांग्रेस के दिग्गज नेता सांसद कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र शिवपुरी में अब जाकर मेडिकल कॉलेज खुलने का रास्ता साफ हो गया है। मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता में हुई परियोजना परीक्षण समिति की बैठक में इससे संबधित प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। यही नहीं बैठक में भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर के शासकीय मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें 150 से बढ़ाकर 250 करने के प्रस्तावों और रीवा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटें 100 से बढ़ाकर 150 करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई।
मेडिकल कॉलेजों में कुल 450 सीटें बढ़ाने पर करीब 600 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। समिति ने एक दिन में इन सातों प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की। अब इन प्रस्तावों को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। केंद्र सरकार ने करीब साढ़े तीन साल पहले प्रदेश में 7 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी थी। इनमें से विदिशा, शहडोल, रतलाम, दतिया और खंडवा मेडिकल कॉलेजों पर काम शुरू कर दिया गया, जबकि छिंदवाड़ा कांग्रेस सांसद कमलनाथ और शिवपुरी ज्योतिरादित्य सिंधिया का संसदीय क्षेत्र होने के कारण सरकार ने यहां मेडिकल कॉलेज खोलने में रुचि नहीं दिखाई थी, लेकिन अब सरकार यहां मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर सक्रिय हो गई है। इसकी वजह एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने के लिए निर्धारित लक्ष्य पूरा करना है।
केंद्र सरकार ने हर मेडिकल कॉलेज के लिए 189 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। राज्य सरकार ने गत विधानसभा चुनाव से पहले विदिशा, शहडोल व रतलाम में मेडिकल कॉलेज के भवन निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था। शुरुआत में इनके निर्माण की रफ्तार धीमी थी, अब जाकर काम में तेजी आई है। दतिया व खंडवा के मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी तेज गति से चल रहा है। अगले साल मई तक इन कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
2700 सीटें और बढ़ाने का लक्ष्य
खास बात यह है कि सरकार ने वर्ष 2018 तक प्रदेश में एमबीबीएस की सीटों की संख्या बढ़ाकर पांच हजार करने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में वर्तमान में एमबीबीएस की 2300 सीटें हैं। इनमें से 6 सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 800 सीटें और 11 प्राइवेट मेडिकल कालेजों में करीब 1500 सीटें हैं। इस तरह प्रदेश में दो साल में करीब 2700 सीटें और बढ़ाई जाना हैं। इसके लिए करीब 20 मेडिकल कालेज खोलने पड़ेंगे।