
ऐसे बनीं देश की स्टार डांसर
कविता रामू आज जब स्टेज पर परफार्म करने उतरती हैं तो तालियों की गड़गड़ाहट तब तक गूंजती है जब तक डांस खत्म नहीं हो जाता। तमिलनाडु के टेंपल टाउन मदुरई में कविता रामू का जन्म हुआ। आईएएस पिता और प्रोफेसर मां की संतान कविता ने चार साल में गुरु नीला कृष्णमूर्ति से भरतनाट्यम के गुर सीखने शुरू किए। 1981 में आठ साल की उम्र में कविता रामू ने पांचवी वर्ल्ड तमिल कांफ्रेंस में स्टेज पर शानदार परफार्म कर लोगों का दिल जीत लिया।
हौंसले के आगे हारी हर परेशानी
यहां से कविता के अंदर आत्मविश्वास भर गया कि वे बेहतर कलाकार बन सकतीं हैं और धड़क खुल गई तो फिर कविता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता का समय-समय पर ट्रांसफर होता रहता तो कविता को बचपन में कई बार स्कूल बदलने पड़ते थे। इससे डांस की तैयारी पर फर्क पडता था मगर कविता के हौसले के आगे हर परेशानी हार जाती थी। 10 साल की कविता हुईं तो माता-पिता ने चेन्नई में शिफ्ट होने का फैसला किया। यहां कविता की मुलाकात मशहूर डांसर केजे सरसा से हुईं। करीब 15 साल तक केजे से ट्रेनिंग लेकर कविता भरतनाट्मय में पारंगत हो गईं। यहीं से धीरे-धीरे कविता की एक नामी भरतनाट्यम कलाकार के रूप मे पहचान बन गई।
पापा का सपना भी पूरा किया
कविता रामू भले ही कम उम्र में मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना बन नाम कमाने लगीं मगर इसे सिर्फ पैशन समझा प्रोफेशन नहीं। कविता अपने पिता को रोल मॉडल मानती थी। पिता की तरह ही सिविल सर्विस को प्रोफेशन बनाने का सपना संजोए थी। इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने के दौरान अपने विश्वविद्यालय में कविता को छठां स्थान मिला। फिर लोक प्रशासन में परास्नातक(पीजी) की डिग्री ली। इस दौरान सिविल सर्विसेज की कठिन तैयारी शुरू की। 1999 में कविता रामू को पहली सफलता तब मिली जब उन्हें तमिलनाडु स्टेट सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता मिली। इसके तीन साल बाद 2002 में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफल होकर आईएएस बन गईं।
पैशन और प्रोफेशन के बीच कैसे करती हैं टाइम मैनेज
एक आईएएस अफसर की व्यस्तता के कारण कविता रामू को जॉब में सांस लेने की भी फुर्सत नहीं रहती। मगर वे अपने टाइम को इस तरह से मैनेज करतीं हैं कि पैशन भी पूरा हो जाए और प्रोफेशन भी प्रभावित न हो। कविता रामू बताती हैं कि सुबह करीब पांच बजे उठ जाती हैं। फिर फिट रहने के लिए योगा सेंटर जाती हैं। घर लौटतीं हैं तो कुछ समय डांस की प्रैक्टिस करती हैं। सुबह नौ बजे तैयार होकर ऑफिस चली जातीं हैं। शाम आठ बजे नौकरी कर घर लौटती हैं। कुछ समय आराम करने के बाद ऑफिसर कॉलोनी के पड़ोसियों से मुलाकात में बिताती हैं। ताकि बातचीत कर खुद को तरोताजा करने के साथ सोशल रिस्पांसिबिलिटी भी पूरी कर सकें। इसके बाद घर पर कॉमेडी फिल्में देखकर मनोरंजन करती हैं। पैशन से डांसर और प्रोफेशन से ब्यूरोक्रेट के सवाल पर कविता रामू कहतीं हैं कि-,“To be able to continue with my passion despite the professional requirements has been an incredible journey.”
रिपोर्ट: श्री नवनीत मिश्रा | संपर्क करें
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