
गुस्सा इतना अधिक है कि पूर्व विधायक के यह कहने पर कि पार्टी मेरी मां है, उसने मुझे जन्म दिया, विधायक बनाया, हम सभी उसके लिये कार्य करें, इसका का भी लोगों पर कोई असर नही पडा। यहां तक कि प्रदेश महामंत्री की समझाइश को लोगो ने एक सिरे से नकार दिया।
दिनभर लगा रहा मजमा-
रविवार की सुबह से सुदामा सिंह के निवास पर दीवाली मिलन के बहाने लोगों की भीड लगी रही। ग्रामीणों एवं कार्यकर्ताओं मे इस बात को लेकर नाराजगी दिखी कि पिछले विधानसभा चुनाव मे जिन लोगों पर सुदामा सिंह के विरुद्ध काम करने का आरोप था, प्रदेश स्तर के कुछ बडे नेता उन्हे ही साथ लेकर उनकी दावेदारी बताते रहे। 35 हजार वोट से चुनाव हारने के मुद्दे को इतना बडा बनाकर बताया गया कि सुदामा की राह कठिन हो गयी। इस मामले मे प्रदेश के एक महामंत्री पर ही उंगली उठने लगी। कार्यकर्ता खुलेआम कहने लगे कि जो व्यक्ति स्वयं हमेशा चुनाव हारता रहा हो, वह खेमेबाजी करके पार्टी को कमजोर करने मे जुटा है।
समझाने की हो रही कोशिश-
पार्टी ने लोगो की नाराजगी को सिरे से खारिज किया है। शहडोल मे पत्रकार वार्ता कर चुनाव प्रभारी अजय प्रताप सिंह ने कहा कि कोई नाराजगी नही है। पार्टी एकजुट है लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ अलग ही है।
पार्टी मेरी मां
सुदामा सिंह ने कार्यकर्ताओं से पार्टी हित मे कार्य करने की अपील करते हुए उन्हे शान्त करने की कोशिश की तथा भाजपा को अपनी माँ बतलाया लेकिन इसका कोई असर पडेगा, ऐसा लगता नहीं है। अनूपपुर प्रभारी परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह, महामंत्री अजय सिंह व अन्य लोगो ने कार्यकर्ताओं की बैठके लेकर गुस्से को शान्त करने की कोशिश की है।
पडेगा उल्टा असर-
जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध नाराजगी है, मामला खुलकर सडक पर आता दिख रहा है। कांग्रेस व अन्य दल लोग भाजपाईयों गुस्से पर पेट्रोल डालने का कार्य कर रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि मुरही (अनाथ) हिमाद्री के पक्ष मे चल रही हवा, आंधी बन सकती है।