भोपाल। मप्र में राजमाता सिंधिया को कौन नहीं जानता। भाजपाई तो उनके चित्र पर हर वर्ष माल्यार्पण भी करते हैं परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत की कथित तानाशाह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को तनाव में ला देने वाली राजमाता सिंधिया, सरदार पटेल के आग्रह पर सार्वजनिक जीवन में आईं थीं। इससे पहले तक लोगों को उनके दर्शन करने तक का अवसर नहीं मिलता था। इसके बाद राजमाता सिंधिया इस तरह से सक्रिय हुईं कि भाजपा की स्थापना में ना केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि भाजपा को शक्तिशाली बनाया और इंदिरा गांधी की नाक में दम करके रख दी। ज्यादातर सिंधिया विरोधियों ने भ्रम फैला रखा है कि अपनी संपत्ति बचाने के लिए राजमाता राजनीति में आईं थीं।
रियासतों के विलय के सिलसिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल जब ग्वालियर आए, तो उनके आग्रह पर ही ग्वालियर की तत्कालीन महारानी विजयाराजे सिंधिया पहली बार उनके साथ सार्वजनिक मंच पर आमजन के सामने आईं थी। उन्होंने उस दिन शहर के एक महिला सम्मेलन को सरदार पटेल के साथ संबोधित किया था।
राजमाता विजया राजे सिंधिया को भाजपा की संस्थापक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर सारा देश जानता है। उनके राजनीतिक संघर्ष के बारे में भी सारी दुनिया जानती है लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उन्हें सार्वजनिक मंच पर पहली बार लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल लाए थे। सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को है।
सरदार पटेल ग्वालियर रियासत के विलय की औपचारिकता पूरी करने ग्वालियर आए हुए थे। शहर की प्रबुद्ध महिलाओं ने देश की तत्कालीन परिस्थितिओं पर विमर्श के लिए एक महिला सम्मेलन का आयोजन किया था। उन दिनों ग्वालियर की महारानी सार्वजनिक समारोहों में सबके सामने नहीं आती थीं। सम्मलेन की आयोजकों ने महारानी को संदेश भिजवाया कि देश के गृहमंत्री सरदार पटेल से आने का आग्रह करें।
महारनी विजाया राजे ने सरदार पटेल को संदेश के साथ आमंत्रित किया, तो उन्होने एक शर्त रख दी। सरदार पटेल की शर्त यह थी कि खुद महारानी विजया राजे भी उस आयोजन में शामिल हों। साथ ही सम्मेलन में पुरुषों के आने की भी मनाही न हो।
सरदार पटेल ने महारानी के आमंत्रण के जवाब में कहा था कि आपका रियासत के लोगों के साथ आत्मीय संबंध है, लिहाजा आपके और उनके बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए। उस सभा में सरदार पटेल के साथ महारानी को सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी।
राजमाता विजया राजे सिंधिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि विलय के लिए सरदार पटेल की यात्रा के दौरान पता चला कि वह बाहर से भले लौह पुरुष दिखते हैं, पर अंदर से बहुत ही मृदु और भावुक थे। विजया राजे के मुताबिक सरदार पटेल को औपचारिकताएं सख्त नापसंद थीं। हालांकि उन्होंने विलय के लिए जीवाजी राव पर बहुत दबाव डाला, लेकिन उनकी मंशा हमेशा साफ और मैत्रीपूर्ण रही।