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पाकिस्तान में सेना और शरीफ के बीच संबंध काफी समय से खराब चल रहे हैं। सेना बार बार शरीफ को दवाब में ले लेती है और शरीफ की नीतियों का विरोध करते हुए तख्ता पलट के संकेत भी दे देती है। विपक्षी भी शरीफ को पूरी ताकत से घेर रहे थे। उनके शक्कर कारखाने का भारत कनेक्शन भी उन्हें लगातार नुक्सान पहुंचा रहा था परंतु मोदी सरकार के 'सर्जिकल स्ट्राइक' की खबर ने सारी बिसात ही पलटकर रख दी है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस सर्जिकल स्ट्राइक ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को वहां की सेना पर अपनी बढ़त बनाने का एक मौका दे दिया। उरी में सेना के बटालियन पर आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से जिस तरह की प्रभावशाली प्रतिक्रिया दी गई उसने नवाज शरीफ सरकार को पाकिस्तान के लोकप्रिय सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ के हाथों खो चुकी अपनी जमीन को पाने का फिर से एक मौका दे दिया है।
सूत्रों ने इस बात की इशारा किया कि भारत की तरफ से इनकार के बाद जिस तरह इस्लामाबाद में होनवाले सार्क सम्मेलन को रद्द करना पड़ा और उसके बाद सार्क के सदस्य देशों ने सीमपार आतंकवाद के खिलाफ सख्त बयान दिया।
रूस के साथ पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास के बाद इस्लामाबाद ने यह दिखाने का प्रयास किया कि वह दुनिया से अलग-थलग नही है लेकिन, रूस ने पाकिस्तान की आलोचना कर उसके दावे की हवा निकाल दी। यहां तक कि हमेशा साथ रहनेवाले उसके सहयोगी चीन ने भी यह संकेत दे दिया कि पाकिस्तान उनके समर्थन को हल्के में ना लें।
यह सबकुछ राहिल को कमजोर और नवाज को ताकतवर बनाने के लिए काफी है।