
इस संतोषजनक स्थिति के बावजूद यह एक सबक तो है ही कि हर आदमी का अपना बैंक खाता के लिए अभियान चलाने वाले देश में बैकिंग तंत्र और उसके साथ जुड़े ग्राहकों की हित सुरक्षा को लेकर हमें अब भी एक फूलप्रूफ सिस्टम की दरकार है। यह दरकार एक निश्चित अल्प समयावधि के बीच हर हालत में पूरी होनी चाहिए। अभी तक की जांच में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने पाया है कि डेटा सुरक्षा में यह सेंध हिताची पेमेंट्स सर्विसेज की
प्रणाली में एक मालवेयर के जरिये हुई। जबकि हिताची अपनी प्रणाली में किसी तरह की सेंधमारी से इनकार कर रहा है, तो उसकी सेवा लेने वाले यस बैंक ने इस घटना से खुद को अलगाते हुए सेवा प्रदाताओं की बेहतर निगरानी पर जोर दिया है।
साफ है कि अब भी इस मामले मे जवाबदेही और समन्वित सुधार की बेहतर पहल की दरकार है। जानकारी के मुताबिक सेंधमारी का शिकार होने वाले ज्यादातर कार्ड चिप-आधारित नहीं थे। आरबीआई को आगे आकर यह सुनिश्चित करना होगा कि निकट भविष्य में बिना चिप सुरक्षा वाले डेबिट कार्ड प्रचलन में न रहें। जब तक इस गड़बड़ी से जुड़े सारे तथ्यों के खुलासा नहीं हो जाते, इस मामले में देश के 70 करोड़ डेबिट कार्ड धारकों को किसी तरह की आशंका या अफवाह से बचना होगा। यही नहीं, उन्हें अपने बैंकिंग लेन-देन के लिए जरूरी सुरक्षा निर्देशों का पूरी तरह पालन करना चाहिए। जो कहा जा रहा है कि पिन एक समय के अंतराल पर बदलते रहें, उसको अमल में लाएं। खास कर पैसे की निकासी के दौरान सिस्टम को चेक-रिचेक अवश्य करें. किसी कारगर तंत्र के आने तक सावधानी ही सुरक्षा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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