शहडोल उपचुनाव: दावेदारों के नाम पर फाइनल मंथन शुरू

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। सांसद दलपत सिंह परस्ते की मृत्यु होने के बाद रिक्त हुई शहडोल संसदीय सीट पर 19 नवंबर को मतदान की तिथि तय की गई है। इसके पूर्व अभ्यर्थियों द्वारा नामांकन भरने व अन्य कार्य के लिए समय है, एक माह से भी कम समय में यह चुनाव सम्पन्न होगा। 22 नवंबर को मतगणना के साथ चुनाव प्रक्रिया समाप्त होगी। 

अभी तक राजनैतिक दलों ने अपने-अपने पत्ते नही खोले है, किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी घोषणा नामांकन भरने के साथ ही होगी। तब तक लोग अपने-अपने तरह से कयास लगा रहे। 

हिमाद्री पर टिकी कांग्रेस 
कांग्रेस ने खुले तौर पर अपने प्रत्याशी की घोषणा तो नही की है किन्तु ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व सांसद व केन्द्र में मंत्री रहे स्व. दलवीर सिंह व पूर्व सांसद राजेशनंदनी सिंह की पुत्री हिमाद्री सिंह पर मन बना चुकी है, सिर्फ घोषणा होना शेष है। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने तीन नामों को पैनल बनाकर कागजी कार्यवाही को पूर्ण करने का प्रयास किया। जिसमें हिमाद्री सिंह के अलावा पूर्व विधायक बिसाहूलाल सिंह एवं पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह का नाम शामिल है। तो वहीं छिदवाड़ा सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने शहडोल में कांग्रेसजनों से बैठक कर यह भी जानने का प्रयास किया है कि किसे प्रत्याशी बनाया जाये इसे लेकर वह सीधे दिल्ली रवाना हो गये, फैसला दिल्ली दरबार से होगा। 

भाजपा में टिकिटार्थियों की भीड़ 
भाजपा में भी कयासों का दौर चल रहा है। अभी तक यह तय नही हो पा रहा है कि इस लोकसभा उपचुनाव में किसे उतारा जाये जो पार्टी को जिता सके। भाजपा में टिकिटार्थियों कीसंख्या भी ज्यादा है पार्टी को तय करना है कि किसे समर में उतारा जाये। प्रमुख दावेदारों में पुष्पराजगढ़ के पूर्व विधायक सुदामा सिंह का नाम सबसे आगे है। इसके बाद प्रदेश के मंत्री ज्ञान सिंह, नरेन्द्र मरावी व अमरपाल सिंह के नाम पर विचार चल रहा हैै। 

सुदामा के नाम पर शिवराज राजी
सूत्रों की माने तो सुदामा सिंह व ज्ञान सिंह के बीच टिकट का फैसला हो सकता है। सुदामा सिंह के साथियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने हरी झंडी तो दे दी है किन्तु केन्द्रीय नेतृत्व के पास मामला गया है। फैसला उन्हे ही करना है इसके पूर्व भी ज्ञान सिंह के समर्थकों ने वाट्सएप में ज्ञान सिंह को टिकट देकर शहडोल लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया है। 

​ब्राह्मण समाज करेगा ज्ञान सिंह का विरोध
ज्ञात हो कि ज्ञान सिंह ने ही ब्राम्हण समाज का अपमान किया था। इसमें मुख्यमंत्री ने भी हामी भरी थी किन्तु समाज की भारी दबाव के बाद इसे नकार दिया था। ज्ञान सिंह ने कहा था कि मंदिरों में आदिवासी समाज व अन्य वर्ग के लोगों को भी पुरोहित व पुजारी बनाया जायेगा। इसके बाद ब्राम्हण समाज ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इसके लिए पहले तो मुख्यमंत्री ने भी हामी भर दी किन्तु समाज के विराध के चलते मुख्यमंत्री को अपना बयान बदलना पड़ा और यह मामला ठंडे बस्ते मे चला गया किन्तु अब अगर ज्ञान सिंह को भाजपा प्रत्याशी बनाती है तो ब्राम्हण समाज इसका पुरजोर विरोध करेगा और ज्ञान सिंह को दिल्ली पहुचने के रास्ते पर रूकावट डालेगा। 

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