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शिकायत में पत्र में यह उल्लेख किया गया है की वारासिवनी नगर में महावीर राइस मिल के नाम पर विपणन संघ वर्ष 2015-16 अनुक्रमांक 114 रजिस्ट्रेशन नंबर 38215 के द्वारा कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंध करवाया गया और उस मिल के नाम पर हजारों क्विंटल चावल खरीदा गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि महावीर राईस मिल के नाम पर बिजली कनेक्शन ही नही है। बिना बिजली के कोई राइस मिल चल ही नहीं सकती।
कृषि उपज मंडी समिति द्वारा सूचना अधिकार के तहत पत्र क्रमांक 392 दिनांक 24 जुलाई 2015 को यह जानकारी दी गई की महावीर राईस मिल वारासिवनी के नाम पर खादान्न को व्यवसाय करने हेतु आवश्यक लाइसेंस जारी नही किया गया। कृषि उपज मंडी समिति द्वारा 25 मार्च 2015 को दी गई जानकारी के अनुसार मंडी से अधिकृत लाइसेंसधारी 46 राईस मिलों की सूची उपलब्ध कराई गई है जिसमें महावीर राईस मिल का नाम नही है। बिना लाइसेंस के मिल कारोबार कर ही नहीं सकती।
कार्यपालन यंत्री मध्यप्रदेश पूर्वी क्षेत्र विधुत वितरण कंपनी वारासिवनी संभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत 35 राईस मिलों की सूची दी है जिन्हें बिजली का कनेक्शन दिया गया है।
उक्त सूची में महावीर राईस मिल का नाम नही है।
जिला उघोग केन्द्र बालाघाट में सन 2012 से 2015 की अवधि में पंजीकृत उघोगों की सूची प्रदाय की गई है उसमें महावीर राईस मिल वारासिवनी का नाम नही है। इसका अर्थ यह भी हुआ कि महावीर राइस मिल फर्जी तरीके से संचालित की जा रही है।
नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक द्वारा 27/05/2016 को अवगत कराया है कि महावीर राईस मिल द्वारा वर्ष 2014-15,2015-16 में चावल प्रदाय किया गया है। भारतीय स्टेट बैंक वारासिवनी शाखा द्वारा की महावीर राईस मिल वारासिवनी को खाता क्रमांक 11226849151 के माध्यम से 36 लाख की लिमिट एवं 36 लाख की साख सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर स्पष्ट प्रतीत होता है कि कस्टम मिलिंग की आड में गोरखधंधा संचालित हो रहा है। इस धोखधडी में संलिप्त राईस मिलर्स ट्रेडर्स, मार्कफेड एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच कर कार्यवाही की मांग की गई है।