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मामला दशरथ खरे का है। 13 अक्टूबर 2013 को उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत बायपास सर्जरी कराने को कहा। परिजन मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने का विचार कर ही रहे थे कि अनूप नगर स्थित साओल हार्ट सेंटर से उन्हें फोन पर बताया गया कि यहां बायपास सर्जरी का बेहतर विकल्प है। इस पर मात्र 1 लाख 29 हजार रुपए खर्च आएगा।
मरीज ने सेंटर पर दिल्ली के डॉ. विमल छाजेड़ से इस थेरेपी के तहत 30 सिटिंग ली। इलाज के नाम पर करीब 95 हजार रुपए सेंटर में जमा भी करा दिए। इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। 27 फरवरी 13 को दोबारा दिल का दौरा पड़ा तो परिजन मरीज को सेंटर लेकर पहुंचे, लेकिन उसे निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
निजी अस्पताल में करीब एक लाख बीस हजार रुपए खर्च हुए। परिजन ने मेडिकल जर्नल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जानकारी निकाली तो पता चला कि जिस थेरेपी से डॉ. छाजेड़ ने इलाज किया, वह मान्यता प्राप्त ही नहीं है। इस पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की।