
प्रदेश के पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह, पुष्पराजगढ विधायक फुंदेलाल सिंह और सुश्री हिमाद्री सिंह कांग्रेस के बडे चेहरों में शुमार हैं और प्रत्याशी चयन भी इनके बीच से होना है तो दूसरी ओर भाजपा में एक के बाद एक कईनाम उभर कर सामने आने, लोगों द्वारा अपेक्षित-अनापेक्षित दावेदारी करने से शीर्ष नेतृत्व का सिर दर्द बढा है। दलपत सिंह के परिजनों के साथ पुष्पराजगढ़ के पूर्व विधायक - जिला पंचायत सदस्य सुदामा सिंह सिंग्राम, जनपद अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम, अमरकंटक नगर पंचायत अध्यक्ष रज्जू सिंह नेताम, पूर्व अध्यक्ष नर्मदा सिंह ने पुष्पराजगढ़ क्षेत्र से अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है तो दूसरी ओर अजजा आयोग अध्यक्ष नरेंद्र मराबी, जैतपुर विधायक जयसिंह मराबी, प्रदेश मंत्री ज्ञान सिंह का नाम इस दौड में प्रमुखता से शामिल है। जो दल अपेक्षाकृत बेहतर चेहरा चुनाव मैदान में उतारेगा, जनता को चयन के लिए अधिक आसानी होगी।
नहीं है संगठनात्मक मुकाबला
किसी भी तरह के चुनाव में संगठनात्मक मजबूती जीत का बडा आधार माना जाता है। शहडोल संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, कम्युनिष्ट पार्टी, सपा, बसपा का छोटा-बडा आधार है लेकिन मुख्य मुकाबला परम्परागत रूप से भाजपा और कांग्रेस में होगा। संसदीय क्षेत्र के इतिहास में सिर्फ एकबार, तब जब फुंदेलाल सिंह बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी थे, बसपा ने तीसरे प्रमुख दल के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इसके बाद के लगभग प्रत्येक चुनाव में जीजीपी, बीएसपी का अपना निर्धारित वोट बैंक है जो प्रमुख दलों के परिणाम पर असर डालता है। कांग्रेस और भाजपा की संगठनात्मक दशा में कोई मुकाबला नहीं है। भारतीय जनता पार्टी संगठनात्मक रूप से अन्य दलों की अपेक्षा बूथ स्तर तक अधिक सक्रिय और मजबूत है जबकि कांग्रेस सहित अन्य दलों में इसका आभाव जनता महसूस करती रही है। हाल के कुछ दिनों में मोहन प्रकाश, अरूण यादव, कुणाल चौधरी की बैठकों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सक्रियता दिखी है लेकिन हिमाद्री सिंह और उनके समर्थकों की अनुपस्थिति को भी लोगों ने महसूस किया है।