मप्र के 10 लाख कर्मचारियों का 7वां वेतनमान अटका

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश की खराब माली हालत ने कर्मचारियों का सातवां वेतनमान अटका दिया है। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने 1 जनवरी 2016 से कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने की घोषणा की थी, लेकिन टैक्स वसूली घटने, घाटा बढ़ने और कर्मचारियों द्वारा छठवें वेतनमान की विसंगति दूर करने की मांग की वजह से सरकार ने फिलहाल इसे रोक दिया है। हालांकि सरकार का कोई भी अधिकारी इसे खुलकर स्वीकार नहीं कर रहा है। राज्य सरकार ने इस साल दीपावली पर ही करीब 10 लाख कर्मचारियों को भी सातवें वेतनमान का तोहफा देने की घोषणा की थी।

बढ़ रहा है राजकोषीय घाटा
राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है। इस वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा सीमा से ज्यादा हो गया। ऐसे में सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। पिछले कुछ महीनों में सरकार 15 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है। यदि सरकार कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देती है, तो राज्य पर 10 हजार करोड़ का बोझ आएगा। वित्तीय वर्ष 2015-16 तक मप्र पर कुल 1 लाख 13 हजार करोड़ स्र्पए का कर्ज था।

कर्मचारी मांग ही नहीं रहे
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जब कर्मचारी सातवां वेतनमान मांग ही नहीं रहे हैं तो क्यों दिया जाए? कई कर्मचारी संगठन छठवें वेतनमान की विसंगति दूर करने की मांग पर अड़े हैं। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक विसंगति दूर करने पर कर्मचारी कुछ और विसंगति निकाल लेंगे। ऐसे में इसका कोई हल नहीं निकलेगा।

नोट बंदी का असर कर वसूली पर पड़ा
केंद्र सरकार के नोट बंदी के फैसले ने भी राज्य सरकार की कमाई पर असर डाला है। वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नोट बंदी की वजह से वाणिज्यिक कर की वसूली कम हो गई है। इससे सरकार का खजाना कमजोर हो रहा है। नोट बंदी के पहले भी टैक्स वसूली अनुमान से कम हो रही थी।

प्रदेश में कर्मचारियों की संख्या
4 लाख 48 हजार नियमित कर्मचारी, जिसमें 1 लाख 3 हजार राजपत्रित अधिकारी।
ढाई लाख अध्यापक
2 लाख संविदा कर्मचारी
निगम-मंडलों में 1 लाख कर्मचारी

इनका कहना है
अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। इस बारे में वित्त विभाग ज्यादा जानकारी दे सकता है।
बसंत प्रताप सिंह, मुख्य सचिव

सातवें वेतनमान पर अभी मैं कोई भी बात नहीं कर सकता।
एपी श्रीवास्तव, एसीएस, वित्त विभाग

सभी कर्मचारी संगठन मिलकर छठवें वेतनमान की विसंगति दूर करने और सातवें वेतनमान के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे।
सुधीर नायक, अध्यक्ष, मंत्रालयनीय कर्मचारी संघ

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