नईदिल्ली। इसे रेल यात्रियों की लापरवाही कहें, ट्रैवल एजेंसियों की अनदेखी या इंश्योरेंस कंपनियों के सख्त नियम। कानपुर हादसे में मारे गए लोगों को दुर्घटना बीमा मिलना बहुत मुश्किल है। यह हादसा रेलवे की नई इंश्योरेंस पॉलिसी की औपचारिकताओं में बुरी तरह से फंस गया है। कानपुर देहात में हुए भीषण रेल हादसे में अपनों को खो चुके इन परिवारों पर एक और वज्रपात हुआ है। जिन यात्रियों की इस रेल हादसे में मृत्यु हुई, उनमें से अधिकांश को रेल दुर्घटना बीमा मिलना मुश्किल है।
रेलवे की रिपोर्ट के अनुसार 695 यात्री गाड़ी में सवार थे। इनमें से सिर्फ 128 लोगों ने ही बीमा लिया था। इसमें 51 यात्रियों टिकट कैंसिल करा दिए। सिर्फ 77 यात्री ही दुर्घटना बीमा स्कीम में आ रहे हैं।
विभाग की मानें तो इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से रेलवे को जो डाटा मिला है, उसमें तमाम रेल यात्रियों के गलत नंबर अंकित हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन यात्रियों ने ट्रेवल एजेंटों के मार्फत टिकट बुक कराए थे। एजेंटों ने गलत मोबाइल नंबर रेल यात्री के फॉर्म पर दर्ज कर दिए।
जब बीमा कंपनियों की ओर से नॉमिनी (नामित) घोषित करने के लिए रेल यात्रियों को ईमेल या एसएमएस किए गए तो अधिकांश का जवाब ही नहीं आया। जिन यात्रियों ने नॉमिनी के नाम दिए, उनकी संख्या 10-12 ही है। जिन यात्रियों के नॉमिनी दर्ज नहीं हैं, उनके परिवार वालों को सरकारी सर्टिफिकेट के आधार पर ही बीमा राशि मिलने की उम्मीद है, जो एक लंबी प्रक्रिया है।