बृजेंद्र ऋषीश्वर/भोपाल। प्रदेश के 270 सब इंस्पेक्टर्स को पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भौंरी में वापस बुला लिया गया है। इनमें से ज्यादातर जिलों में तैनात थाना प्रभारी हैं। इन सभी को अब 40 दिन की विशेष ट्रेनिंग देकर तहजीब सिखाई जा रही है।
इन लोगों द्वारा फरियादियों के साथ लगातार बदसलूकी किए जाने की शिकायतों के बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने पहली बार यह कदम उठाया है। 2013-2014 बैच के सीधी भर्ती वाले इन पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर काफी सवाल खड़े हो रहे थे। ट्रेनिंग में अब विशेषज्ञ इन्हें बता रहे हैं कि फरियादियों और आम लोगों के साथ पुलिस अधिकारी को किस तरह पेश आना चाहिए।
पुलिस की हो रही थी बदनामी
40 दिन के इस विशेष प्रशिक्षण में 200 पुरूष और 70 महिला एसआई शामिल हैं। इनमें उन महिला थानेदारों को भी बुलाया गया है, जिनके लोगों से पैसे मांगने के ऑडियो वायरल हो रहे थे। इससे पुलिस की काफी बदनामी भी हो रही थी। इसके अलावा इनमें बहुत से ऐसे भी हैं जो पहले अपनी ट्रेनिंग के दौरान आईपीसी और सीआरपीसी परीक्षा में फेल हुए थे।
4 साल पुराने थानेदार पूछ रहे अजीब सवाल
सिपाही से एफआईआर दर्ज करवाने के बाद क्या थानेदार को उसे देखना जरूरी है?
छेड़खानी में पीड़िता की शिकायत की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करें या पहले?
आईपीसी की धारा में 307 और 308 में क्या अंतर है। जबकि दोनों ही हत्या के प्रयास में लगाई जाती हैं?
मानव व्यवहार पर फोकस
40 दिन के कोर्स में मानव व्यवहार पर विशेष फोकस किया जा रहा है, आईपीसी की भी जानकारी दी जा रही है। यह प्रयोग पहली बार किया जा रहा है।
संदीप भूरिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भौंरी
इनका कहना है
पुलिस ट्रेनिंग से निकलने के बाद एक बार फिर प्रशिक्षण केंद्र में हैं। नया अनुभव है,नई कानूनी जानकारियों से अपडेट हो रहे हैं,जो फील्ड में काम आएगा सीआरपीसी,आईपीसी और मानव व्यवहार के बारे में विशेषज्ञ और रिटायर पुलिस अफसर हमें पढ़ा रहे हैं।
एनके अवस्थी एसआई