नईदिल्ली। मोदी सरकार को नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विपक्ष का विरोध झेलना पड़ रहा है. आठ नवंबर के बाद से पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद हो चुके हैं. विपक्ष विरोध कर रहा है। इस बीच मोदी सरकार के इस फैसले का बीजेपी की रीढ़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में ही विरोध शुरू हो गया है. इसकी सबसे बड़ी नजीर केरल में देखने को मिली है.
संघ परिवार से चार दशक का रिश्ता तोड़कर आरएसएस के वरिष्ठ नेता पी पद्मकुमार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए. पद्मकुमार ‘हिंदू एक्या वेदी’ के प्रदेश सचिव भी रह चुके हैं.
राजनीतिक हिंसा और अमानवीय रवैए का विरोध
रविवार को पद्मकुमार ने लेफ्ट के साथ आने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी और आरएसएस की राजनीतिक हिंसा और अमानवीय रवैए से तंग आकर उन्होंने सीपीएम में शामिल होने का फैसला लिया. लाल झंडा थामने से पहले पद्मकुमार ने सीपीएम के जिला सचिव अनावूर नागप्पन से मुलाकात की. पद्मकुमार ने कहा, "1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाना अंतिम हमला था. इसी के बाद मैंने आरएसएस को अलविदा कहने का निर्णय लिया."
सवालिया लहजे में उन्होंने कहा, "आरएसएस और बीजेपी की नफरत की सियासत और अमानवीय राजनीति के रवैए से कितने ही परिवार अनाथ हो गए? मैं आरएसएस की हिंसक राजनीति और गैर मानवतावादी रवैए के खिलाफ था."
गौरतलब है कि केरल में हाल के दिनों में लेफ्ट और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प के मामलों में तेजी आई है. पीएम मोदी ने केरल विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में कहा था कि हिंसा की राजनीति कम्युनिस्टों की रगों में है. हमारे कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि उनके विचारों से सहमत नहीं थे.